Chandrayaan 3 Update Latest ISRO Chief S Somanath Reveals When I Was – India Hindi News – Chandrayaan 3 से रचा था इतिहास, अब सोमनाथ ने किया खुलासा
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चंद्रयान 3: पिछले साल भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया था। इसरो ने चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड करवाकर रिकॉर्ड कायम किया था। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ को इसके लिए दुनियाभर से बधाई मिली थी। अब एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 11 महीने बाद बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे वे एक समय निराश होकर इसरो छोड़ने का प्लान बना रहे थे और आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। दरअसल, यह समय तब था जब इसरो के रॉकेट्स बार-बार समुद्र में गिर रहे थे, जिसकी वजह से उन्हें निराशा ने घेर लिया था। एस सोमनाथ को लगने लगा था कि अब स्पेस साइंस प्रोफेशन में कुछ नहीं बचा है और कुछ और करना होगा।
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया कि जब रॉकेट समुद्र में गिरा तो वे इतने निराश हो गए थे कि उस समय उन्होंने इसरो छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा देने के बारे में सोचा। वे देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करके आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। उस समय इसरो में वेतन बहुत अधिक नहीं था। वैज्ञानिकों में इसरो छोड़कर अमेरिका जाने की प्रवृत्ति थी, जिससे सोमनाथ के जीवन में और निराशा आई थी। हाल ही में इसरो प्रमुख ने गोवा विश्वविद्यालय के एक स्नातक छात्र से कहा कि उनके गुरु और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक सुंदरम रामकृष्णन ने उन्हें ‘मंत्री का क्लर्क या पीए’ बनने से रोक दिया था। एस सोमनाथ ने बताया कि जब रामकृष्णन को पता चला कि सोमनाथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो रामकृष्णन ने उन पर और दबाव बनाया। आखिरकार आज के इसरो प्रमुख परीक्षा पास नहीं कर पाए।
दरअसल, एस सोमनाथ के गुरु विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक सुंदरम रामकृष्णन थे। उनके अनुसार, जीवन में आगे बढ़ने के लिए गुरु का होना बहुत जरूरी है। कई बार वे आपको आपकी खूबियों से ज्यादा आपकी खामियों के बारे में बताते हैं। वे आपको गलत रास्ते से सही रास्ते पर ले जाते हैं। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने यह भी कहा कि वह बचपन में डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उनमें जीव विज्ञान की बजाय गणित में रुचि पैदा की। दरअसल, किसी चीज पर कड़ी मेहनत करने से व्यक्ति में उस विषय के प्रति जुनून पैदा हो सकता है। यह एक ऐसी क्षमता है जिसे हर किसी को विकसित करने की जरूरत है। एस सोमनाथ ने ग्रेजुएट छात्रों को ऐसी सलाह दी।