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भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर ने सुनाई उदयपुर में क्रिकेट पिच की अनसुनी कहानियां, स्टोरीज रिलीव्ड की शुरुआत में पहुंचे उदयपुर

निशा राठौड़/ उदयपुर:- भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मैनेजर अमृत माथुर द्वारा लिखित पुस्तक पिचसाईड में क्रिकेट के अनसुने किस्से और अनकही कहानी पर अमृत माथुर ने उदयपुर टेल्स द्वारा होटल लेकएण्ड में आयोजित स्टोरीज रीलिव्ड में अपने अनुभव साझा किये. अमृत माथुर ने लोकल18 को बताया कि क्रिकेट में पहले के मैनेजर बनने और अभी के मैनेजर बनने में काफी अन्तर आ गया है. पूर्व की तुलना में वर्तमान में परिप्रेक्ष्य में मैनेजर के समक्ष अनेक चुनौतियां सामने आती हैं.

उनके अनुसार भारतीय क्रिकेट के इतिहास में मुल्तान क्रिकेट मैच शायद कोई भूल नहीं पायेगा. उस मैच में भारत रत्न सचिन तेंदुलकर 195 रन पर अपनी पारी खेल रहे थे और उसी समय कप्तान राहुल द्रविड ने पारी की घेाषण कर दी. उस समय सचिन के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था. जब वे ड्रेसिंग रूम में आये, तो उनका चेहरा तमतमाया हुआ था. पारी घोषित करने का निर्णय कप्तान का नहीं, वरन पूरी टीम का होता है. उसके बाद भारतीय टीम मैदान पर उतरी, लेकिन सचिन गुस्सा होने के कारण मैदान पर फिल्डिंग के लिये नहीं उतरे. मैने उन्हें समझाया और तब जाकर वे मानें.

सौरव गांगुली को लेकर कही ये बात
माथुर ने बताया कि ऐसा ही एक किस्सा वर्ष 2002 में लार्ड्स के मैदान में हुआ. सौरव गांगुली की कप्तानी में फाइनल मैच भारत ने जीता, तो सौरव द्वारा शर्ट उतारकर लहराने का किस्सा सभी को मालूम है. भारत ने हारा हुआ मैच जीता, तो सौरव के लिये वह क्षण अद्भुद थे और उसी का परिणाम था कि सौरव ने अपना शर्ट उतार का हवा में लहराया. भारतीय टीम जीत का लक्ष्य लेकर उतरी और उतार-चढ़ाव के चलते आखिरकार भारत ने वह फाइनल जीता.

राजस्थान के क्रिकेट में उदयपुर क्रिकेट के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है. यहां के महाराणाओं ने समय-समय पर क्रिकेट को बढ़ावा दिया. भारत में क्रिकेटर के रूप में सलीम दुर्रानी जैसे खिलाड़ी बहुत कम हुए हैं. रणजी क्रिकेट में दर्शक सिर्फ सलीम दुर्रानी को ही देखने आते थे. जब वे आउट हो जाते, तो दर्शक मैदान छोड़कर चले जाते.

क्रिकेटर इमरान खान ने आईसीसी से किया ये आग्रह
क्रिकेटर इमरान खान ने पाकिस्तान की क्रिकेट मैदान पर बनी इमेज को सुधारने के लिये आईसीसी से पाकिस्तान में न्यूट्रल अम्पायर भेजने का आग्रह कर एक सकारात्मक कदम उठाया था. मैदान में क्रिकेट मैदान पर कहासुनी होने के बावजूद मैदान के बाहर खिलाड़ियों में मित्रता बनी रहती थी. विराट कप्तानी में एग्रेसिव थे, तो सौरव ने भारत को मैच जीतना सिखाया. सौरव खिलाड़ियों का टैलेन्ट देखकर उन्हें गोल देते थे.

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