ज़मीन से छत तक..इस मंदिर में है कांच ही कांच, चाहने वाले ने की थी ये प्रतिज्ञा
इंदौर की पहचान सिर्फ भारत के सबसे साफ शहर के रूप में ही नहीं, बल्कि बेहतरीन मंदिरों और देवस्थानों के लिए भी है। इंदौर का कांच मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि कलाकारों में भी मशहूर है। 100 साल से भी ज्यादा पुराना है यह मंदिर का पुरा संग्रहालय. इसकी छत से लेकर, खम्भे, दरवाज़े, खोमचे, झूमर सब कुछ कांच का बना हुआ है। इन सभी में जो कांच लगा है उसे बेल्जियम से मंगाया गया था। यह मंदिर बनाने वाला कारीगर ईरान से आया था।
मंदिर को 1913 में इंदौर के सर सेठ हुकुमचंद ने आजाद किया था। हुकुमचंद के महल कैसलीवाल की विरासत तो बेल्जियम से कांचा, ईरान से कलाकृति के अलावा यहां इस्तेमाल किए गए पत्थर और उनकी कलाकृतियां राजस्थान से आई थीं। मंदिर में भगवान शांतिनाथ की मूर्ति काले संगेमरमर की और आदिनाथ और चंद्रप्रभु भगवान की मूर्ति सफेद संगमरमर से बनी है। पूरे मंदिर में निर्मित कलाकारों में जैन धर्म के विषय में बताया गया है।
इसके भवन में किसी भी प्रकार का प्रयोग नहीं किया गया है। इसकी लकड़ी चूने से पत्थर से की गई है। उस समय इस पर करीब 1 लाख 62 हजार का खर्च आया था। सेठ हुकुमचंद ने कई मिलें और मंदिर बनवाए हैं। उन्हें ब्रिटिश ने ‘सर’ नाम दिया था. कॉटन किंग कहने वाले सेठ हुकुमचंद का नाम न्यूयॉर्क के स्टॉक एक्सचेंज तक पहुंचाया गया था।
मंदिर के लिए छोड़ा था घी का खाना
कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में बेल्जियम से कांच आने में काफी समय लग गया था, जिसके बाद इस मंदिर का काम रुक गया था। तब सेठ और उनके दो अन्य चिकित्सकों ने प्रयास किया कि जब तक मंदिर पूरा नहीं होगा तब तक मंदिर में घी का सेवन नहीं करेंगे।
छत से ज़ूम तक कांच के बने हुए इस मंदिर में खम्भे लाल पत्थर के हैं। इसका दरवाजा लकड़ी का बना हुआ है और उसका चांदी का हिस्सा बना हुआ है। सेठ ने मंदिर में सोने का रथ और पालकी भी बनवाकर रखी है। महावीर जयंती पर यह रथ आज भी निकलता है। मंदिर के साथ ही शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर (हुकुमचंद जैन मंदिर) और मूर्तियाँ भी बनाई गई थीं, जिनकी होने वाली आय के माध्यम से मंदिर का अभिषेक किया जा सके।
मंदिर सुबह 05 बजे से दोपहर 12 बजे तक और फिर शाम 04 बजे से रात 08 बजे तक देखा जा सकता है। इस मंदिर को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्य के बाद है जब सूर्य की किरणें कांच पर प्यारी होती हैं तो मंदिर सुंदर दिखता है। इंदौर के इस जैन कांच मंदिर को शीशम महल भी कहा जाता है।
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पहले प्रकाशित : 11 अगस्त, 2024, 21:05 IST