मध्यप्रदेश

यहां है मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध भगवान शंकर की मूर्ति, ऐसे बनाया गया मंदिर

देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जिन्हें आस्तिक लोग भी देखना पसंद करते हैं। ऐसा ही है मध्य प्रदेश के जबलपुर में कचनार सिटी का शिव मंदिर। जबलपुर के विजयनगर में भगवान शंकर की 76 फुट (23 मीटर) की प्रतिमा है। प्रस्तुतकर्ता ने यह भी दावा किया है कि यह मध्य प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित भगवान शंकर के आदर्श हैं। यही कारण है कि आस्तिक लोगों के साथ ही नास्तिक लोग भी इसे देखने आते हैं।

यहां भगवान शंकर के मूर्ति किसी मंदिर में नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे हैं जहां वह ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। इस मूर्ति के नीचे एक गुफा भी बनी है जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इन सभी ज्योतिर्लिंग देशों में विभिन्न धार्मिक स्थल मौजूद हैं। गुफा के अंदर एक और गुफा बनी हुई है जो मंदिर का गर्भ गृह है। मंदिरों के गर्भगृह में पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की मूर्तियाँ भी रखी गई हैं। इसके अलावा यहां कृष्ण और सप्त ऋषियों के भी देवता हैं, जो शिव भगवान का भजन करते हैं।

यहां बनी गुफा में लोग एक दरवाजे से घुसते हैं और 12 शिवलिंगों के दर्शन दूसरे दरवाजे से बाहर और बाहर करते हैं। करीब तीन नक्षत्रों में इस मंदिर को अरुण तिवारी नाम के एक बिल्डर ने नष्ट कर दिया है। यहां लगी भगवान शंकर की मूर्ति को दक्षिण के प्रसिद्ध मूर्तिकार श्रीधर और उनकी टीम ने करीब 3 साल में तैयार किया। 15 फरवरी 2006 को भोलेनाथ की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई और फिर इसे लोगों के दर्शन-पूजन के लिए खोला गया।

ऐसी हुई शुरुआत
साल 1996 में अरुण तिवारी बेंगलुरु की बिल्डिंग का ट्रेलर देश भर में देखने को मिला। वहां उन्हें शंकर भगवान की 41 फुट की मूर्ति स्थापित की गई। इन्हें भी जबलपुर में ऐसी ही बड़ी मूर्ति के बारे में विचार आया. 2000 में अरुण ने कचनार सिटी बसाने की योजना बनाई जिसमें उन्होंने शिव की मूर्ति के लिए जगह छोड़ दी।

इसके बाद 2002 में वे बेंगलुरु में भगवान शंकर की मूर्ति बनाने वाले की तलाश में लग गए। उन्होंने बैंगलुरू में एक ही मंदिर वालों से मूर्ति बनाने वाली की जानकारी पूछी तो शुरुआत में उन्होंने मना कर दिया लेकिन बाद में बताया कि इसे कैसे बनाया जाए। श्रीधर ने बनाया है, जो बेंगलुरु से तीन सौ किलोमीटर दूर शिमोगा जिले में रहते हैं। 2 महीने बाद अरुण श्रीधर फिर से सफल हुए।

अरुण ने श्रीधर को जबलपुर में मूर्ति बनाने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया। दरअसल, श्रीधर को लगता है कि उत्तर भारत में दंगे-फसाद होते रहते हैं तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। अरुण ने श्रीधर को सुरक्षा की गारंटी दी और उन्हें जगाकर ले आये जहां तीन साल में मूर्ति तैयार हुई। यहां श्रीधर की अन्य मूर्तियां भी बनाई गई हैं। कई टन आयरन और कास्ट से बनी है यह मूर्ति धूप से चटकने ना पाए इसलिए समय-समय पर इसे रख-रखाव किया जाता है।

श्रीधर ने अभी तक लगभग 12 मूर्तियां बनाई हैं। वे खुद मानते हैं कि इनमें सबसे खूबसूरत जापानी मूर्ति है। उनका कहना है, सफाई और शरीर का भाव-भंगिमा इस मूर्ति में किसी भी तरह से समान नहीं है। श्रीधर 3-4 साल से इसे देख रहे हैं।

मंदिर परिसर में पार्क भी बनाया गया है। कई स्थानीय लोग तो वहां रोजाना जाते हैं और पार्कों में योग, प्राणायाम भी करते हैं। इससे उनके दोनों काम हो जाते हैं। रात में यहां खूबसूरत रंग-बिरंगी लाइटें जलती हैं जिससे ये और भी खूबसूरत दिखती हैं। शाम को प्रतिदिन महादेव की आरती होती है। यहां सावन, शिवरात्रि और बसंत पंचमी जैसी तारीखों पर काफी संख्या में भोले के पुजारी हैं।

इस शिव मंदिर का संचालन अरुण तिवारी और जबलपुर पर्यटन विभाग करता है। जहां यह मूर्ति है वह कचनार सिटी मेन जबलपुर शहर से 5-6 किमी की दूरी पर है।

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