बड़े से बड़ा भूकंप भी इस समतुल्य रॉक का नहीं मिला कुछ, दूर-दूर से देख रहे हैं लोग
नेचर ने इस दुनिया को ऐसे-ऐसे अजूबे दिए हैं जो लोग एक बार प्रकृति की शक्तियों के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं। इन रहस्यों की गुत्थी सुझलाना के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसा ही अजूबा है जिसे बेसमेंट रॉक कहा जाता है। वैसे तो ये सामान्य पत्थर ही है लेकिन एक चट्टान के ऊपर सिर्फ कुछ इंच के आधार पर ही दूसरा पत्थर टूटा है। छोटे-छोटे भूकंप में जहां आधुनिक तरीके से निर्माण तक गिर जाते हैं वहीं बड़े से बड़े भूकंप आज तक इसे हिला नहीं पाते हैं।
यह वजनदार चट्टान कोई छोटा मोटा पत्थर नहीं बल्कि बहुत बड़े आकार का है। देखने से ऐसा लगता है कि यह तेज़ हवा के झोंके से भी गिरेगा लेकिन यह हजारों प्राचीन स्थानों से रुका हुआ है। इसी अजूबे को देखने के लिए दूर-दूर से लोग देखते हैं। विशेषज्ञ ने इसका रहस्य रहस्य जानने के लिए किया, लेकिन उत्तर दिया कि ऐसा होता है कि यह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण हुआ है।
इस चट्टान का भूकंप भी नहीं सका कुछ
संस्कारधानी के नाम से प्रसिद्ध जबलपुर में स्थित मदन महल के गुंबद पर रानी दुर्गावती का किला है। इसी किले के पास इन्सुलेशन रॉक है। इसमें रॉक एशिया के तीन बेसमेंट रॉक शामिल हैं। त्रिगुणात्मक रॉक भारत में ही मौजूद हैं। 22 मई 1997 को जबलपुर में आये 6.2 भूकंप वाले भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। कई इमारतों में मिट्टी मिल गई और काफी लोगों की जान भी चली गई। लेकिन भूकंप के झटकों का कोई असर नहीं हुआ।
इस विषय में जानकारी में कुछ लोगों का कहना है कि ग्राडिज़ की ये चट्टानें मैग्मा के जमने से बनी रहती हैं। दूर से देखने पर ये रॉक जैसे दिखते हैं लेकिन ये होते एक ही चट्टान हैं। इसके पीछे का कारण बताया गया है कि धरती की उत्पत्ति के समय चट्टानें पिघलकर लावा के रूप में बाहर दिखाई देती हैं और जो लावा धरती के ऊपर नहीं बल्कि ठंडे पत्थरों से जम जाता है। ये चट्टानें एक ही तरह की हैं. कई बार इनके टुकड़े बन जाते हैं और ये टूट जाते हैं लेकिन कुछ अनोखे जुड़े होते हैं। दूर से देखने में ये माउंटिंग चट्टानें दिखाई देती हैं लेकिन शैतान में ये एक ही चट्टान होती है।
कहते हैं कि जबलपुर में कई और बैंडिंग रॉक हैं लेकिन अभी तक वो लोगों की नजरों में नहीं आए हैं इसलिए फेमस नहीं हुए हैं। पूर्वी, नयागांव में पहाड़ी पर स्थित ज्वालामुखी आकार की विशाल चट्टान सामने आई थी। यह रॉकिंग रॉक नयागांव के ठाकुरताल पहाड़ी के बीच है।
हालाँकि, प्रकृति के ये तोहफ़े अब लोग समर्थित नहीं पा रहे हैं। असल, विकास की सनक ने हर जगह वैलेरी, सरिया और कॉन्टेस्ट का जाल बिछाया है। जापानीज के इस बेंचमार्किंग रॉक को किसी भी तरह से बचाया जा सकता है।
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पहले प्रकाशित : 12 अगस्त, 2024, 20:36 IST