भारत को अधिक सुधार की जरूरत, इकोनॉमी पर IMF की गोपीनाथ ने कही ये बात
भारत को आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने और पर्याप्त रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए अधिक सुधार करने की जरूरत है। ये बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कही है। इसके साथ ही गोपीनाथ ने कहा कि अगर भारत वैश्विक सप्लाई चेन में एक अहम पार्टनर बनना चाहता है तो उसे आयात शुल्क कम करना होगा। उन्होंने कहा कि स्ट्रक्चरल रिफॉर्म के संदर्भ में सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में अहम सुधार किए हैं। गोपीनाथ ने कहा कि विश्व ऐसे माहौल में है जहां व्यापार एकीकरण पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए वैश्विक व्यापार के लिए खुला रहना अहम है।
भारत में आयात शुल्क ज्यादा
गीता गोपीनाथ ने कहा-भारत में आयात शुल्क दरें अन्य समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक हैं। यदि वह विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहता है, तो उसे उन शुल्क को कम करना होगा।
विकसित देश के दर्जे पर कही ये बात
गोपीनाथ ने कहा कि विकसित देश का दर्जा प्राप्त करना एक बड़ी आकांक्षा है, लेकिन यह अपने आप नहीं हो जाता। इसके लिए कई क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर निरंतर, सुसंगत प्रयास की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत की समग्र वृद्धि दर अच्छी रही है और सात प्रतिशत की दर से यह विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। गोपीनाथ ने कहा कि प्रश्न यह है कि इस गति को कैसे बनाए रखा जाए तथा इसे और कैसे बढ़ाया जाए, ताकि भारत में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो सके तथा यह एक उन्नत अर्थव्यवस्था बन सके।
टैक्सेशन पर क्या बोलीं
टैक्सेशन पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति अन्य विकासशील देशों से मिलती-जुलती है। यहां अधिकांश टैक्स राजस्व अप्रत्यक्ष होता है, न कि प्रत्यक्ष टैक्स। उन्होंने कहा कि हम अन्य विकासशील देशों को भी सलाह दे रहे हैं कि व्यक्तिगत आयकर आधार को व्यापक बनाना लाभदायक होगा, ताकि वहां से अधिक आय प्राप्त हो सके।
कॉरपोरेट टैक्स कटौती पर
मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स की दर में कटौती का उल्लेख करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि यह सहायक था, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि खामियां न हों और टैक्स छूट के मामले में बहुत अधिक लीकेज न हो।