नाबालिग का बार-बार पीछा करना और प्यार का इजहार यौन उत्पीड़न जैसा, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
POCSO एक्ट से जुड़े मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत का कहना है कि अगर एक लड़का प्यार का इजहार करने के लिए लगातार किसी नाबालिग लड़की का पीछा करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न के समान माना जाएगा। नागपुर बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी और कोर्ट ने अपीलकर्ता को स्टॉकिंग (IPC के तहत) और POCSO के तहत यौन उत्पीड़न का दोष बरकरार रखा है।
जस्टिस गोविंद सनप ने 4 फरवरी 2021 को अमरावती की एक कोर्ट के फैसले बरकरार रखा है। लाइव लॉ के अनुसार, 8 अगस्त को सुनाए गए फैसले में जज ने कहा है कि पीड़िता ने अपने सबूत में आरोपी के आचरण और बर्ताव के बारे में बताया है। उन्होंने कहा, ‘पीड़िता का सबूत यह साबित करने के लिए काफी है कि आरोपी बातचीत के इरादे से उसका लगातार पीछा कर रहा था। जबकि, वह साफ संकेत दे चुकी थी कि उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘पीड़िता का सबूत आगे भी यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि आरोपी उसका यौन शोषण कर रहा था।’ जज ने कहा कि बताया गया आरोपी का व्यवहार और आचरण उसकी मंशा को दिखाने के लिए काफी था। उन्होंने कहा, ‘आरोपी बार-बार पीड़ित लड़की का पीछा कर रहा था। वह उससे बात करना चाहता था। वह उसके साथ प्रेम संबंध रखना चाहता था। उसने पीड़िता के लिए अपने प्रेम का इजहार किया था और कहा था कि पीड़िता उसके प्यार को मानेगी और हां कह देगी।’
जज ने कहा, ‘मेरे विचार में आरोपी की मंशा उसके आचरण से नजर आ रही थी। उसकी मंशा अच्छी नहीं थी।’ पीड़िता के सबूत देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि पीड़िता ने अपने स्तर पर शुरुआत में आरोपी से बचने की कोशिश की और यह भी बताने की कोशिश की थी कि वह उसमें दिलचस्पी नहीं रखती है। हालांकि, आरोपी नहीं माना और 19 अगस्त 2017 को जब पीड़िता ने आरोपी को थप्पड़ मारा और अपनी मां को बताया, तब FIR दर्ज की गई थी।
खास बात है कि जज ने आरोपी की इस बात को भी नहीं माना कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है, क्योंकि पीड़िता किसी और लड़के के साथ थी।