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ब्रायन लारा को 501 रन बनाते देखा और हनीफ मोहम्‍मद को 499 रन बनाते भी, भारत में जन्‍मा लेकिन इंग्‍लैंड से खेला

नई दिल्‍ली. वेस्‍टइंडीज के ब्रायन लारा (Brian Lara) को क्रिकेट का करिश्‍माई बैटर माना जाता था. एक बार पिच पर सेट होने के बाद वे लंबी पारियां खेलने के लिए मशहूर थे. टेस्‍ट क्रिकेट में सर्वाधिक निजी स्‍कोर (400*) के अलावा फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट का सर्वोच्‍च निजी स्‍कोर (501*) का रिकॉर्ड बाएं हाथ के इस बैटर के नाम पर ही दर्ज है. अपनी फ्री फ्लो बैटिंग के फैंस के दिलों पर राज करने वाले लारा ने अप्रैल 1994 में इंग्‍लैंड के खिलाफ सेंट जोंस टेस्‍ट में इंडीज के ही गैरी सोबर्स के नाबाद 365 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 375 रन की पारी खेली थी लेकिन अक्‍टूबर 2003 में ऑस्‍ट्रेलिया के मैथ्‍यू हेडन (Matthew Hayden) ने जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ 380 रन बनाकर लारा के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. अपना यह रिकॉर्ड टूटने को लारा ने चुनौती के तौर पर लिया और अप्रैल 2004 में सेंट जोंस में ही इंग्‍लैंड के खिलाफ नाबाद 400 रनों की पारी खेलकर फिर यह रिकॉर्ड अपने नाम पर लिखा लिया.

जून 1994 में लारा ने फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट का सर्वोच्‍च स्‍कोर बनाते हुए पहली बार 500 से अधिक रन बनाने का करिश्‍मा किया था. इंग्लिश काउंटी में उन्‍होंने वारविकशायर की ओर से डरहम के खिलाफ नाबाद 501 रन की पारी खेली थी और पाकिस्‍तान के हनीफ मोहम्‍मद (Hanif Mohammad) के रिकॉर्ड को तोड़ा था. जनवरी 1959 में कराची की ओर से खेलते हुए हनीफ ने बहावलपुर के खिलाफ 499 रन बनाए थे और 500 रन पूरे करने के चक्‍कर में रन आउट हो गए थे.

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वूल्‍मर बने थे लारा और हनीफ की यादगार पारी के गवाह

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लारा की नाबाद 501 और हनीफ मोहम्‍मद की 499 रन की पारियों को विश्‍व क्रिकेट में ‘मील का पत्‍थर’ माना जा सकता है. हनीफ के दौर में तो मैचों के प्रसारण की सुविधा भी नहीं थी, ऐसे में उस समय मैदान पर मौजूद लोग ही इस यादगार पारी का दीदार कर पाए थे. मशहूर कोच और क्रिकेटर (स्‍वर्गीय) बॉब वूल्‍मर (Bob Woolmer) उन खुशकिस्‍मत लोगों में थे जिन्‍हें इन दोनों पारियों को मैदान पर देखने का अवसर मिला था.

कानपुर में हुआ जन्‍म, इंग्‍लैंड की ओर से 19 टेस्‍ट, 6 वनडे खेले

बॉब एंड्रयू वूल्‍मर का जन्‍म वर्ष 1948 में भारत के कानपुर शहर में हुआ था. उन्‍होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में इंग्‍लैंड की ओर से खेलते हुए 19 टेस्‍ट में 3 शतकों की मदद से 1059 रन और 6 वनडे में 21 रन बनाए. खिलाड़ी के तौर पर करियर खत्‍म होने के बाद वे कोच बने. वर्ल्‍डकप 2007 के दौरान पाकिस्‍तान टीम का कोच रहते हुए वेस्‍टइंडीज में संदिग्‍ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी. वूल्‍मर की मौत की गुत्‍थी 17 साल बाद भी अनसुलझी ही है.

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1959 में पाकिस्‍तान में काम करते थे बॉब के पिता
हनीफ ने 1959 में कराची में जब 499 रन की पारी खेली थी उस समय बॉब वूल्‍मर के पिता पाकिस्‍तान में सेवाएं दे रहे थे. करीब 11 साल के बॉब यह पारी देखने के लिए मैदान पहुंचे थे. जब हनीफ 499 के स्‍कोर पर रनआउट होकर 500 रन बनाने से चूके थे तो नन्‍हे बॉब को बहुत अफसोस हुआ था. 8 से 12 जनवरी तक खेले गए इस मैच में पहले बैटिंग करते हुए बहावलपुर टीम 185 रन पर आउट हो गई थी जिसके जवाब में कराची ने 7 विकेट पर 772 रन बनाकर पारी घोषित की थी. हनीफ ने विकेट पर 635 मिनिट का समय गुजारते हुए 499 रन बनाए थे और रन आउट होकर पवेलियन लौटे थे. 587 रनों की विशाल बढ़त के बोझ तले दबी बहावलपुर की दूसरी पारी 108 रनों पर सिमट गई थी और कराची ने पारी और 479 रनों के विशाल अंतर से मैच जीता था.

लारा के 501* के समय वारविकशायर के कोच थे वूल्‍मर

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ब्रायन लारा ने जब बर्मिंघम में डरहम के खिलाफ नाबाद 501 रनों की पारी खेली थी तब वारविकशायर टीम के कोच वूल्‍मर ही थे. कोच की हैसियत से उन्‍होंने लारा के हर शॉट का मजा लिया था. 1994 में 2 से 6 जून तक हुआ यह मैच ड्रॉ रहा था और दो पारियां भी पूरी नहीं हो सकी थीं. डरहम ने पहले बैटिंग करते हुए जॉन मॉरिस के नाबाद 204 रनों की मदद से पहली पारी 8 विकेट पर 556 रन बनाने के बाद घोषित की थी जिसके जवाब में लारा ने 427 गेंदों पर 62 चौकों और 10 छक्‍कों की मदद से नाबाद 501 रन बनाए थे. लारा के अलावा कीथ पाइपर ने भी नाबाद 116 रनों की पारी खेली थी. वारविकशायर ने 4 विकेट पर 810 रन बनाकर पारी घोषित की थी.

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नोबॉल पर बोल्‍ड हुए थे लारा, 18 रन पर कैच भी छूटा था

इस मैच में किस्‍मत लारा पर पूरी तरह मेहरबान थी. जब वे 12 रन पर थे तो नोबॉल पर बोल्‍ड हो गए थे. 18 रन के निजी स्‍कोर पर डरहम टीम के विकेटकीपर क्रिस स्‍कॉट ने उनका कैच छोड़ दिया. कैच छूटने पर दुखी स्‍कॉट ने कहा था-ओह,अब वह सेंचुरी जड़ देगा लेकिन स्‍कॉट ने कम नुकसान का ही अनुमान लगाया था. शतक पूरा करने के बाद भी लारा का बल्‍ले के कहर जारी रहा था और 501 रनों के ‘हिमालयी’ स्‍कोर पर जाकर ही रुके थे.

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