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NPS या UPS, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए कौन सी पेंशन स्कीम बेहतर, समझें

केंद्रीय कर्मचारियों को मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में पहला बड़ा तोहफा दिया है। दरअसल, मोदी सरकार की कैबिनेट ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत सेवा में शामिल होने वाले 23 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित रूप से वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में देने को मंजूरी दे दी है। इसे एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के तौर पर पहचान मिली है। अब केंद्रीय कर्मचारियों के मन में कई तरह के सवाल हैं, आइए उन सवालों का सिलसिलेवार जवाब देते हैं।

क्या है एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस)?

इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारी अब रिटायरमेंट से पहले अंतिम 12 महीनों में मिले औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में पाने के हकदार होंगे। पेंशन के रूप में वेतन का 50 प्रतिशत पाने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 25 वर्ष होनी चाहिए। हालांकि न्यूनतम 10 साल तक की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक रूप से पेंशन दी जाएगी।

किसके लिए है योजना?

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस के तहत एक अप्रैल, 2004 के बाद सेवा में शामिल होने वाले सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू है। 2004 के बाद सेवा में आने वाले जितने कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं या एक अप्रैल 2025 तक रिटायर्ड होंगे, उन्हें भी इस विकल्प को चुनने का अवसर मिलेगा। यह पेंशन योजना, एनपीएस से पहले के कर्मचारियों के लिए लागू परिभाषित लाभ के बजाय योगदान के आधार पर लाभ देती है।

एनपीएस से अलग कैसे?

यूपीएस के लिए कर्मचारियों के अंशदान को एनपीएस की मौजूदा व्यवस्था के 10 प्रतिशत के बराबर ही रखा गया है जबकि सरकार ने अपने अंशदान को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इसके साथ महंगाई राहत (डीआर) उसी दर से मिलेगा जिस पर महंगाई भत्ता मिलता है। इस प्रकार से पुरानी पेंशन योजना के तहत मिलने वाली पेंशन के अनुपात में ही कुल वेतन की आधी पेंशन यूपीएस में मिला करेगी।

इस पेंशन योजना में फैमिली पेंशन, गारंटी शुदा न्यूनतम पेंशन और रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त भुगतान के भी प्रावधान किये गये हैं। हालांकि, एनपीएस में ये सभी फीचर नहीं मिलते हैं।

कब से होगा लागू?

नई योजना एक अप्रैल, 2025 से लागू है। इसके लागू होते ही एनपीएस खाताधारक एकीकृत पेंशन योजना यानी यूपीएस का विकल्प चुन सकते हैं। यूपीएस लागू करने से एरियर के रूप में चालू वित्त वर्ष में सरकार को करीब 800 करोड़ रुपए व्यय करने पड़ेंगे जबकि यूपीएस के लिए लगभग 6250 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

फैमिली पेंशन पर क्या?

इसी तरह से अगर किसी पेंशनभोगी को मौत होती है तो उसके परिवार को मृत्यु के वक्त मृतक को मिलने वाली पेंशन का 60 प्रतिशत परिवार को मिलेगा। इस पर डीआर भी 60 प्रतिशत दिया जाएगा। अगर न्यूनतम 10 साल की नौकरी के बाद कोई नौकरी छोड़ता है तो कम से कम दस हजार रुपए पेंशन मिलेगी। अधिक नौकरी वाले को उसी अनुपात में अधिक पेंशन मिलेगी।

ग्रेच्युटी पर क्या?

यूपीएस के तहत रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी की राशि के अलावा एक और एकमुश्त राशि से अलग से मिलेगी। यह राशि सेवाकाल में हर छह महीने की सेवा के बदले एक माह के मासिक वेतन (वेतन डीए) का 10वां हिस्सा जुड़ कर रिटायरमेंट पर मिलेगा।

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