जम्मू और कश्मीर

विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं दादर-ए-इस्लामी के कई पूर्व सदस्य, नामांकन भरा; 1987 से कर रहे थे विरोध

प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के कई पूर्व गुटों ने केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभाओं में चुनाव में सफलता पाने के लिए मंगलवार को मजबूत दावेदारी के लिए नामांकन पत्र जारी किया। कारागार में बंदावादी अंतर्विरोधी कलाकार बरकती की ओर से उनकी बेटी सुगरा बरकती को नामांकन पत्र मिला।

1987 के बाद के चुनाव में माइक्रोसॉफ्ट ने हिस्सा नहीं लिया

गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिबंध लगाने की वजह से क्रोमा चुनाव नहीं लड़ सकते लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने केंद्रीय चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने पर रोक लगा दी। 1987 के बाद के चुनाव में दादू ने हिस्सा नहीं लिया और 1993 से 2003 तक कट्टरपंथियों के मंच हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया।

इक्विटी के पूर्व अमीर (प्रमुख) तलत मजीद ने समर्थित सीआरपीएफ ट्रैक्टर क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र हासिल किया। माजिद ने कहा कि साल 2008 के बाद भू राजनीति में बदलाव आया और उन्हें लगा कि पूर्व की आदर्श प्रतिभा को छोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ”वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखकर मुझे लगा कि अब समय आ गया है कि हम राजनीतिक प्रक्रिया में हिस्सा लें। मैं 2014 से ही अपने विचार फ्रैंक्स वार्ता कर रहा हूं और आज भी उसी सिद्धांत को आगे बढ़ा रहा हूं।”

वैश्विक स्थिति को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते- माजिद

माजिद ने कहा कि शतरंज और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जैसे तत्वों की स्थिर राजनीतिक परिदृश्य में भूमिका निभाई जाती है। उन्होंने कहा, ”जब हम कश्मीर की बातें करते हैं तो वैश्विक स्थिति पर नजर नहीं डाल पाते। पार्टियाँ होने के नाते हमें वर्तमान में रहना चाहिए और (बेहतर) भविष्य की ओर देखना चाहिए।”

जमात के एक और पूर्व नेता सायर अहमद रेशी भी कुलगाम सीट से चुनावी मैदान में हैं। रेशी ने मतदातों से अपील की है कि वे अपने अंतर आत्मा की आवाज के आधार पर मतदान करें। उन्होंने कहा, ”किसी व्यक्ति को आशीर्वाद देना या अपमानित करना अल्लाह पर वर्जित है…लेकिन मैं लोगों से अपील करूंगा कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट दें।”

ऐतिहासिक आंदोलन शुरू करेंगे- रेशी

रेशी ने कहा, ”हम सुधारों के लिए एक ऐतिहासिक आंदोलन शुरू करेंगे।” उन्होंने स्वीकार किया कि युवाओं को खेलों से अलग रहने की हिंसा से दूर रखा गया है, लेकिन उन्होंने कहा कि युवाओं को सीखने की जरूरत है। ऑर्गेनाइजेशन बरकती 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद फोटो हिंसा से चर्चा में आया था और इस चुनाव में शोपियां जिले से अपनी किस्मत आजमा रही है।

इंजीनियर की ओर से उनकी बेटी सुगरा बरकती ने नामांकन पत्र दाखिल किया। कंपनी का यह समय रेलवे स्टेशन में है। केंद्र सरकार द्वारा 2019 में एटीएस-370 को निरस्त कर दिया गया और पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया, जिसके बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। इलेक्ट्रॉनिक्स कमीशन के कार्यक्रम के तहत वोटिंग थ्री स्टेज 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम की गिनती चार अक्टूबर को होगी।

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