रावलपिंडी में जन्मा, मथुरा में पला-बढ़ा, बॉलीवुड का वो स्टार गीतकार, जिसकी 1 फ्लॉप से हुई हार्ट अटैक से मौत
नई दिल्ली. ‘नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए…’ यह गाना बरसों पहले बॉलीवुड लिखा गया था, लेकिन आज भी यह बच्चों का सबसे पसंदीदा गानों में टॉप पर है. क्या आप जानते हैं इस गाने को किसने लिखा था? इस गाने को शंकरदास केसरीलाल शैलेंद्र ने लिखा. जी हां, वही गीतकार शैलेंद्र जिनके लिखे गाने 50 और 60 के दशक में सुपरहिट हुए थे. राज कपूर के सबसे पसंदीदा गीतकार बने थे. बात आजादी के साल की है, राज कपूर एक कवि सम्मेलन में शैलेन्द्र को पढ़ते देख इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शैलेंद्र से फिल्म ‘आग’ के लिए गाना लिखने को कहा लेकिन उन्होंने राज कपूर को तब साफ मना कर दिया.
हालांकि, इसके बाद शैलेंद्र को वह बुरा दौर देखना पड़ा. उन्हें घर चलाना मुश्किल हो गया था. कमाई इतनी कम थी कि खाने के लाले पड़ रहे थे. ऐसे में शैलेंद्र ने राज कपूर से मिलने का फैसला किया. वह घर से निकले, तो बारिश होने लगी. वह भीगते गए तब उनके होंठों पर शब्द थे ‘बरसात में हम से मिले तुम सजन’ फिर क्या था अनायास ही यह ‘बरसात’ का टाइटल सॉन्ग बना और हिट हुआ.
खूंखार विलेन को देख रुकवा दी गई थी ट्रेन, बार-बार डायलॉग बोलने पर किया गया मजबूर
फिर क्या था राजकपूर और शैलेन्द्र की दोस्ती शुरू हुई और उनका फ़िल्मी दुनिया का सफर यहीं से शुरू हुआ. साथ ही हिंदी फिल्मों में टाइटल सॉन्ग लिखने का ट्रेडिशन भी शुरू हुआ. शैलेंद्र 30 अगस्त 1923 को अविभाजित भारत के रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) में जन्मे थे.
रोजी-रोटी के चक्कर में फैमिली बाहर से पहुंची थी रावलपिंडी
रावलपिंडी में पैदा हुए इस गीतकार का बचपन मथुरा में बीता क्योंकि उनके जन्म के बाद उनका परिवार यहां आकर बस गया. शैलेंद्र का परिवार बिहार के भोजपुर इलाके से संबंध रखता था. लेकिन रोजी-रोटी के चक्कर में पहले रावलपिंडी और वहां से फिर मथुरा पहुंचे थे. शैलेंद्र को खूब ख्याति मिली, तो उन्होंने प्रोड्यूसर के तौर पर फिल्म ‘तीसरी कसम’ को प्रोड्यूस किया. इसके डायरेक्टर बासु भट्टाचार्य थे.
शैलेंद्र ने पहली बार प्रोड्यूस की थी राज कपूर की फिल्म
‘तीसरी कसम’ में राज कपूर और वहीदा रहमान ने लीड रोल निभाया. फिल्म डिजास्टर साबित हुई. इस फिल्म में उन्होंने अपनी बहुत सारी कमाई लगा दी थी और फिल्म के फ्लॉप होने के बाद उन्हें हार्ट अटैक आया और वह दुनिया को अलविदा कह गए. वह 43 साल के थे. शंकरदास केसरीलाल शैलेंद्र ने मुंबई में 14 दिसंबर 1966 को अंतिम सांस ली.
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पहले प्रकाशित : 30 अगस्त, 2024, 10:38 IST