जेल से विधानसभा चुनाव लड़ेगा टेरर फंडिंग का मातृत्व सरजन बरकती, बेटी को बढ़ावा का बढ़ावा
टेरर फंडिंग के आरोप में जेल की हवा काट रहे मौलवी सर्जन बरकती ने भी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के लिए ताल ठोक दी है। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए शोपियां से शोक चुनावी लड़ाई की शुरुआत की है। बरकती को चुनावी प्रचार के लिए उनकी बेटी ने उठाया। बरकती में 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद शोपियां, आतंकी हमले और कुलगाम में हिंसक प्रदर्शन के दौरान भारत विरोधी विद्रोह शामिल होने का भी आरोप है।
उग्र और टेरर फंडिंग जैसे गंभीर आरोप का सामना कर रहे हैं मौलवी सार्जन नीकी अहमद सार्जन बरकती जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव में आक्रामक दावेदार के रूप में चुनावी लड़ाई कर रहे हैं। बरकती के परिवार वालों ने कहा कि वे बरकती के अनमोल गांव रेबन में स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर चुके हैं।
कौन है सरजन बरकती
हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद 2016 के आंदोलन का चेहरा रहे बरकती को 1 अक्टूबर 2016 को गिरफ्तार कर लिया गया और 2020 में आतंकी रिहा कर दिया गया। बरकती का नामांकन पत्र उनकी बेटी द्वारा बेचा गया है। बरकती ने 2016 में कश्मीर में दंगों के दौरान रैली निकाली थी और देश विरोधी नारियों और भाषणों के बाद सुरक्षा साजिदा के भाषणों में आये थे।
पिछले साल 28 अगस्त को बरकती को कश्मीर में आतंकवादी हमले के लिए धन्नाकोल और कथित तौर पर टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जमाते इस्लामिक से सामान रखने वाले सरजन बरकती 2016 में शोपियां, पुलवामा और कुलगाम में हिंसक प्रदर्शनों के जिम्मेदार जिम्मेदार बताए गए हैं।
इससे पहले टेरर फंडिंग के मॉस्को और जेल में बंद इंजीनियर रसिड ने बारामूलासोम सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। रिसिड को चुनावी प्रचार के लिए उनके बेटे अबरार रिसिड ने उठाया था। रसीद ने बारामूला सीट पर अपने प्रतिद्वंद्वी और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को माता दी थी। अब रसीद के पदचिह्नों का टिकट करते हुए सरजन बरकती ने भी भिक्षुणी विधानसभा का चुनाव रद्द कर दिया है।