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अंधभक्ति नहीं करेंगे; ममता सरकार के खिलाफ बंगाली कलाकारों का आक्रोश, अब शुरू हुआ अवॉर्ड लौटाने का सिलसिला

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या का ममाला सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के खिलाफ गुस्सा इस कदर बढ़ गया है कि बंगाली मनोरंजन जगत के प्रमुख कलाकार अपने-अपने अवॉर्ड लौटाने लगे हैं। इस मामले को लेकर बंगाल में सियासी माहौल गरमा गया है। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश पैदा कर दिया है। आम हो या खास कई लोग डॉक्टरों के साथ मिलकर सड़कों पर उतर आए हैं। अब बंगाली फिल्म और थियेटर के कलाकार भी इस विरोध में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। सुदीप्त चक्रवर्ती, चंदन सेन और बिप्लब बनर्जी जैसे मझे हुए कलाकारों ने राज्य सरकार से मिले अवॉर्ड को वापस करना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि सरकार ने जनता की भावनाओं और न्याय की मांग को नजरअंदाज किया है, जिससे वे बेहद आहत हैं।

ममता सरकार के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर टीएमसी विधायक कंचन मलिक ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो कलाकार राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें राज्य सरकार से मिले सम्मान को वापस कर देना चाहिए। कंचन मलिक के इस बयान के बाद बंगाली कलाकारों का गुस्सा फूटा है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री सुदीप्तो चक्रवर्ती ने ‘स्पेशल फिल्म अवार्ड’ लौटाने का फैसला किया है। अपने इस फैसले को लेकर उन्होंने कहा, “मैंने कभी किसी से समझौता नहीं किया और न ही करूंगी। जब विधायक ने कहा कि जो लोग सड़कों पर उतर रहे हैं, उन्हें अपने अवॉर्ड वापस कर देने चाहिए, तो मैंने फौरन ये फैसला कर लिया।” सुदीप्तो ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, “मैं सड़क पर खड़ी रहूंगी और न्याय की मांग करती रहूंगी – कानूनी और सामाजिक, दोनों रूपों में।”

वहीं मशहूर नाटककार चंदन सेन ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक कंचन मलिक के बयान से आहत होकर ‘दीनबंधु मित्र पुरस्कार’ लौटाने का ऐलान किया है। 2017 में थिएटर के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस पुरस्कार को प्राप्त कर चुके चंदन सेन ने कहा कि उनके पिता सरकारी अस्पताल में डॉक्टर थे और वे डॉक्टरों के दर्द को अच्छी तरह से समझते हैं। इसी भावना से प्रेरित होकर उन्होंने अवॉर्ड लौटाने का निर्णय लिया।

इसके बाद अभिनेता-निर्देशक बिप्लब बनर्जी ने भी अपना ‘नाट्य अकादमी पुरस्कार’ लौटाने का ऐलान किया है। बिप्लब ने भी कहा कि कंचन मलिक के बयान ने उन्हें गहराई से चोट पहुंचाई है, और इसलिए वे 30 हजार रुपये की पुरस्कार राशि के साथ-साथ पुरस्कार भी वापस कर रहे हैं। बिप्लब ने कहा, “सरकार ने इस पुरस्कार के बदले अंधभक्ति की मांग की है, जिसे मैं सिरे से खारिज करता हूं।”

बंगाली कलाकारों द्वारा अवॉर्ड लौटाने की इस लहर ने ममता सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया है। ये कदम बंगाल में चल रहे विरोध प्रदर्शन को और भी तेज करने का काम कर रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता सरकार इस गुस्से को कैसे शांत करती है और क्या ये विरोध राज्य की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव लाने में सफल होता है।

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