सिर से हटाई टोपी, फिर रेस्टोरेंट में लगे जोर-जोर से बोलना; मेरी चाहत आपका हाथ…उमर अब्दुल्ला क्यों भावुक हो गए
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को मध्य कश्मीर की गांदरबल सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके बेटे भी साथ थे। उनमें से सबसे पहले एक शिलालेख को दिखाते हुए अब्दुल्ला भावुक हो उठे। उन्होंने सभा के दौरान अपने सिर से टोपी उतारी और हाथ से गोदी गैंडरबल सीट से जिताने की अपील की। पुराने लोगों से अपील की कि उन्हें लोगों की सेवा करने का एक मौका दिया जाए और जम्मू-कश्मीर के आगामी चुनाव में गांदरबल से उन्हें जिताएं।
आमतौर पर उर्दू में बात करने वाले और रिश्तों को सलाम करने वाले उमर ने पूर्वोत्तर में कहा, “आज मैं बस एक बात करता हूं। मेरी पगड़ी, मेरी बेटी और यह टोपी आपके हाथों में है।” जब उमर सिर से टोपी उछालकर लोग यह भावुक अपील कर रहे थे, तब वहां मौजूद भीड़ ने जोर-जोर से कहा कि उन्हें अपनी टोपी की जरूरत नहीं है। उमर ने जब अपनी टोपी सिर से निकाली और पार्टी के सदस्यों से दोस्ती की अपील की तो कुछ पार्टी कार्यकर्ता व्यावहारिक भी नजर आए।
उन्होंने पार्टी को ‘एक मौका’ देने की मांग की, ताकि वे सही मायनों में विधानसभा क्षेत्र के लोगों की सेवा कर सकें। उमर ने कहा, “आज मैं हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि चुनाव में मेरी जीत हर दरवाजे तक पहुंचे।” उन्होंने पार्टी में एक सदस्य के रूप में वोट करने के लिए डेमोक्रेट की ओर से वोट दिया और सोलो पर भरोसा करने का आग्रह किया। उमर ने कहा, “अगर हम एक बच्चे थे, तो हम एक-दूसरे पर विश्वास करते थे, तो निश्चित रूप से जीत हमारी होगी।”
बता दें कि ग्रैंडबल में 25 सितंबर को मतदान होना है। अब्दुल्ला 2009 से 2014 तक इस सीट से प्रतिनिधि बने रहे। उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में मध्य कश्मीर के बडगाम जिले की बीरवाह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। अब्दुल्ला ने श्रीनगर की सोनवार सीट से भी चुनाव लड़ा था, लेकिन वहां उन्हें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के प्रमुख नेता मोहम्मद अशरफ मीर ने हरा दिया था।
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गैंडरबल नेशनल कॉन्फ़्रेंस और अब्दुल्ला परिवार का गढ़ है। नेशनल कॉन्फ़्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और वर्तमान राष्ट्रपति फारूक अब्दुल्ला कई बार इस रेलवे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 1977 में यह सीट हासिल की थी, उनके बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला ने 1983, 1987 और 1996 में यह सीट हासिल की। उमर अब्दुल्ला बाद में 2008 में इस निर्वाचन क्षेत्र में चुने गए।
2014 में शेख इश्फाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर दिग्गज नेता की कुर्सी संभाली थी। उमर अब्दुल्ला ने इस साल उत्तर कश्मीर की बारामूला सीट से पहली बार चुनावी लड़ाई लड़ी थी, लेकिन शेख अब्दुल रशीद नाइक इंजीनियर रशीद से हार गए थे। रशीद अरेस्ट को पोषण वित्त के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर की 90 लद्दाखी विधानसभा के लिए मतदान 18, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को होगा।