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IIT-भुवनेश्वर में 80 फीसदी फैकल्टी मेंबर हैं सवर्ण, RTI में हुआ खुलासा

शिक्षा के क्षेत्र में एससी, एसटी और ओबीसी के प्रतिनिधित्व को लेकर बहस दशकों से चली आ रही है. लेकिन, बीते कुछ महीनों में ये बहस और तेज हुई है. ऐसे में IIT-भुवनेश्वर से जो खबर आ रही है, वो इस बहस को और तेज़ कर सकती है. दरअसल, एक आरटीआई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि IIT-भुवनेश्वर में 80 फीसदी फैकल्टी मेंबर जनरल कैटगेरी से हैं. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है.

किसने लगाई आरटीआई

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया ओबीसी स्टूडेंट्स असोसिएशन के अध्यक्ष किरण कुमार गौण ने एक आरटीआई लगाई थी, जिसमें ये खुलासा हुआ. दरअसल, आरटीआई का जवाब देते हुए IIT-भुवनेश्वर के अधिकारियों ने बताया कि कॉलेज में कुल 300 प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हैं. इनमें से 213 पदों पर लोग कार्यरत हैं. जबकि, 95 पोस्ट अभी भी खाली हैं. अधिकारियों ने बताया कि इन 213 पदों पर कार्यरत प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों में 171 कर्मचारी जनरल कैटेगरी से हैं.

SC, ST और OBC से कितने

इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इन 213 प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों में 28 ओबीसी कैटेगरी से हैं. इसके अलावा एक फैकल्टी मेंबर एसटी कैटेगरी से है और 12 फैकल्टी मेंबर एससी कैटेगरी से हैं. वहीं एक फैकल्टी मेंबर EWS कोटा से है.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों का भी यही हाल

साल 2022 में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया था कि देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC और ST कैटेगरी से सिर्फ एक-एक उपकुलपति हैं. वहीं, 45 रजिस्ट्रारों में से सिर्फ दो SC कैटेगरी से, पांच एसटी कैटेगरी से और तीन ओबीसी कैटेगरी से हैं. जबिक, कुल 1005 प्रोफेसरों में से 864 जनरल कैटेगरी से हैं. वहीं, 69 अनुसूचित जाति से, 15 अनुसूचित जनजाति से और 41 ओबीसी समुदाय से हैं.

साल 2019 में आया था नया कानून

विश्वविद्यालयों में पदों पर रिजर्वेशन के नियमों के लिए साल 2019 में केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम लाया गया था. इस अधिनियम के तहत आरक्षण व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए थे. जैसे- पहले केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों के पदों में सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण था, लेकिन इस अधिनियम के तहत अब ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के लिए भी आरक्षण लागू कर दिया गया. इसके अलावा पहले आरक्षण, विभाग के स्तर पर दिया जाता था, लेकिन इस अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय को आरक्षण लागू करने की इकाई बना दिया गया. यानी अब अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए  15 फीसदी, ओबीसी के लिए  27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी सीटें आरक्षित की जाती हैं.

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