एएमयू से स्नातक करने वाले पहले हिंदू छात्रों को ईश्वरी प्रसाद, गैर-मुसलमानों को प्रवेश नहीं दिया गया था
दस्तावेज़ / दस्तावेज़: उत्तर प्रदेश का पितृभूमि मुस्लिम विश्वविद्यालय (ए पितृभूमि) देश के प्रमुख शिक्षण में से एक है। यह आज़ादी के बाद देश के चार केंद्रीय उद्योगों में से एक था। क्रिस्टोफ़र मुस्लिम विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर पीरजादा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस विश्वविद्यालय का नाम पहले कुछ और था और इसमें गैर-मुस्लिम छात्रों के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं थी। बाद में नाम परिवर्तन के साथ ही प्रवेश के नियमों को भी बदला गया, जिससे हिंदू सिद्धांत और महान सिद्धांत ने भी यहां से शिक्षा प्राप्त की।
उमर पीरजादा के अनुसार, इस विश्वविद्यालय का नाम पहले मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज था, जिसके बाद क्रिस्टोफर मुस्लिम विश्वविद्यालय (ए प्राथमिक) के नाम से जाना जाने लगा। 1877 में माओ कॉलेज की स्थापना 1920 में ब्रिटिश सरकार की केंद्रीय सभा के एक अधिनियम के माध्यम से एक प्रतिष्ठित का दर्जा मिला। 1951 में संसद द्वारा एक संशोधन अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद यह विश्वविद्यालय गैर-मुसलमानों के लिए भी खुल गया।
प्रथम स्नातक हिंदू छात्र
उमर पीरजादा ने बताया कि 1920 में एक स्मारक को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। इस विश्वविद्यालय से कई प्रमुख मुस्लिम नेता, उर्दू लेखक और उपमहाद्वीप के विद्वान स्नातक हुए। एक दीक्षांत से स्नातक करने वाले पहले व्यक्ति एक हिंदू छात्र थे, दस्तावेज़ का नाम ईश्वरी प्रसाद था।
विश्वविद्यालय का विस्तार
15 से शुरू हुई ए शुरूआत में आज 108 से अधिक विभाग हैं। इस विश्वविद्यालय में लगभग 1200 से अधिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। यहां असाबाथ से लेकर उच्च शिक्षा तक की सुविधा है। ए से संबद्ध 7 कॉलेज, 2 स्कूल, 2 पॉलिटेक्निक कॉलेज और 80 छात्र हैं। विश्वविद्यालय में 1400 से अधिक शिक्षण और लगभग 6000 गैर-शिक्षण कर्मचारी हैं। ए लक्ष्य में पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा के 250 से अधिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिनमें सार्क और कन्स्ट्रक्शन देशों के छात्रों के लिए भी प्रवेश द्वार हैं। हर साल लगभग 500 विदेशी छात्र यहां आते हैं। विश्वविद्यालय कुल 467.6 हेक्टेयर में फोटो खींची गई है।
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पहले प्रकाशित : 10 सितंबर, 2024, 15:12 IST