लोकसभा चुनाव में महायुति का बड़ा दांव, क्या पार लगाया गया शिंदे सरकार का यह मास्टरप्लान
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैदराबाद गजट को लागू करने की योजना बना रहे हैं, जो रांझा समाज को नवीन का आधार प्रदान कर सकता है।
मराठा क्षेत्र में नोमा चुनाव 2024 में महायुति को करारा झटका लगा था। यहां बीजेपी के एकनाथ शिंदे की पार्टी और अजिताभ की गर्लफ्रेंड वाले गठबंधन 9 में से सिर्फ 1 सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रहे। बीजेपी के बड़े नेता पंकजा मुंडे और राव साहेब दानवे जैसे दिग्गजों की हार से पार्टी को भारी नुकसान हुआ। इस स्थिति में शिंदे सरकार ने विधानसभा चुनाव के लिए इस्तीफा दे दिया है। सरकार अब आने वाले चुनाव में कोई गलती नहीं चाहती, खास तौर पर तब जब मराठा लहर का राष्ट्रीय स्तर पर राशन गर्माया गया है।
राष्ट्रीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने इस मुद्दे को उठाया और हवा दी है। मनोज जारांगे पाटिल ने आंध्र प्रदेश में आंध्र प्रदेश समुदाय के लिए नारियल की मांग की है। उन्होंने मराठा समाज को ‘कुनबी’ के रूप में दर्ज करने की मांग को लेकर प्रमुख आंदोलन छेड़ा है। पीड़ित का कहना है कि 1881 में ब्रिटिश योद्धाओं में से अधिकांश मराठों को कुनबी के रूप में दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में यह बदल गया। उनकी मांग है कि 1881 के आधार पर मराठा समाज को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किया जाए, जिससे उन्हें नवीनता का लाभ मिल सके।
शिंदे सरकार अब इस मामले को हल करने के लिए सांस्कृतिक कदम उठाने की तैयारी में है। एबीपी मांझा की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की योजना को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की योजना बनाई जा रही है, जो कोटा समाज को विशिष्टता का आधार प्रदान कर सकता है। इस मुद्दे पर राज्य सरकार का एक सांविधानिक मंडल पहले ही तेलांगना बिजनेस गजेट का अध्ययन कर चुका है और अब इसे लागू करने की दिशा में काम शुरू हो गया है।
25 से 30 सितंबर तक इस विधानसभा का एकदिवसीय मंच बुलाया जा सकता है, जिसमें इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। शिंदे सरकार के लिए यह निर्णय वैचारिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि मराठा विधानसभा की 46 सीटें हैं और पिछली बार महायुति ने यहां 28 नामांकन पर जीत दर्ज की थी। आंध्र प्रदेश का आबादकार एक प्रमुख भूमिका में है, यही वजह है कि शिंदे सरकार का हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है।