जम्मू और कश्मीर

कश्मीर की 28 शेयरधारिता छोड़ भाजपा ने खेला बड़ा दांव, जानिए क्या है प्लान, जम्मू और कश्मीर न्यूज़

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए ऑल-ऑस्ट्रेलियाई रणनीति लगभग सामने आ चुकी है। बीजेपी ने इस बार नई रणनीति तैयार की है। पार्टी ने पूरे जम्मू क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है और घाटी में आश्रम और स्थानीय आश्रम को आगे बढ़ाने की रणनीति का समर्थन किया है। कश्मीर घाटी के 47 में से बीजेपी ने केवल 19 पर ही उम्मीदवार निकाले हैं और 28 पर ही उम्मीदवार बचे हैं।

जम्मू क्षेत्र की साड़ी रेजिमेन्ट पर रिजेक्ट के उतरने के बाद अब स्थिति साफ हो गई है। यहां पर भाजपा का मुख्य मुकाबला कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस गठबंधन का साथ हो रहा है। इस क्षेत्र की 43 वीं सदी में भाजपा पिछली बार से सबसे ज्यादा वोट पाना चाहती है। हालाँकि, कलाकारी के रोमांस को लेकर जिस तरह का घमासान हुआ है, वह बीजेपी नेतृत्व के लिए चिंता का विषय भी है। इस क्षेत्र की सभी 43 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन कई बड़े नेताओं के टिकट काटने से उनकी समस्याएं बढ़ती हैं। इनसे कुछ तो बगावत कर चुनावी मैदान में भी उतर गए हैं।

कश्मीर की 19 वीं कक्षा पर ही उम्मीदवार उतरते हैं
बीजेपी की असली रणनीति कश्मीर घाटी को लेकर है, यहां उसकी जीत की संभावना बेहद कम है। ऐसे में पार्टी ने वैली की 47 से 19 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें दक्षिण कश्मीर की 16 में से 8, मध्य कश्मीर की 15 में से 6 और उत्तर कश्मीर की 16 में से 5 पर दावेदार हैं। गुटों के अनुसार भाजपा की रणनीति यहां पर एकजुट और स्थानीय आश्रमों के आधार पर टिकी हुई है, जो कांग्रेस-एनसी गठबंधन और पीआईपी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं। हालाँकि इससे इस क्षेत्र में भाजपा ने अपने जिन नेताओं को तैयार कर लिया था, वह नाराज हैं। राम माधव को संघ में प्रभारी के रूप में चुने जाने के बाद भाजपा ने वापस बुला लिया और पार्टी ने अपनी इस रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है।

विवरण के अनुसार, हाल में जेल से बाहर आए इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तिहाद पार्टी के साथ सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी और गुलाम नबी आज़ाद घाटी की कई प्रेरणाएँ पर प्रभावकारी हो सकती हैं।

इसके अलावा भाजपा परोक्ष रूप से कई भोजपुरियों की भी मदद कर रही है और उनका पिछला हिस्सा खड़ा हो गया है। पार्टी की कोशिश घाटी में कम से कम मध्य भाग में ऐसे अविश्वास की जीत सुनिश्चित करने की है जो बाद में राज्य में भाजपा के साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष के रूप में समर्थन कर नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *