उत्तर प्रदेश

विश्व का अखंड मंदिर, जहां गिलहरी के रूप में स्थापित हैं बजरंगबली, 41 दिन की पूजा से दूर होते हैं दर्शन!

बेगम/अहमदअलीगढ़.भारत में श्री राम भक्त हनुमान के मंदिर अनेक हैं। प्रोटोकाॅल अपनी–अपने अलग-अलग सिद्धांत और आस्था है। इन तीर्थस्थलों में हनुमान जी की विभिन्न सिद्धांतों में पूजा की जाती है। लेकिन क्रिएटर में एक ऐसा मंदिर है, जो दुनिया भर में मशहूर है। यहां पर हनुमान जी की गिलहरी के रूप में पूजा की जाती है। अचल झील के किनारे हनुमान जी का श्री गिलह महाराज मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। बजरंगबली यहां गिलहरी के रूप में पूजा करते हैं। यहां करीब 50 से ज्यादा मंदिर हैं, लेकिन गिलहराज जी मंदिर की मान्यता सबसे ज्यादा है।

मंदिर के महंत कैलाश नाथ के प्रतीक हैं श्री गिलहराज जी महाराज के इस प्रतीक की खोज सबसे पहले पवित्र धनुर्धर ‘श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज’ की थी, जो एक सिद्ध संत थे। जिसके बारे में माना जाता है कि वह हनुमान जी से सपने में मिले थे। उन्हें अकेले ही पता चला कि भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊजी महाराज ने पहली बार हनुमान जी की गिलहरी के रूप में पूजा की थी। यह पूरे विश्व में अचल ताल के मंदिर में दिखने वाला एकमात्र प्रतीक है, जहां भगवान हनुमान जी की आंख दिखाई देती है।

सपने में आये थे हनुमान जी

मंदिर के महंत योगी कौशल नाथ ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण नाथ संप्रदाय के एक महंत ने किया था। बताया जाता है कि हनुमान जी ने उन्हें सपने में दर्शन दिए थे और कहा था कि मैं अचल ताल पर निवास करता हूं। वहां मेरी पूजा करो. जब उस महंत ने अपने शिष्य को खोज के लिए वहाँ बुलाया तो उन्हें वहाँ मिट्टी के ढेर पर बहुत गिलहरियाँ मिलें। उन्हें बकवास जब उन्होंने उस जगह को खोदा तो वहां से मूर्ति। यह मूर्ति गिलहरी के रूप में हनुमान जी की थी। जब महंत जी को इसके बारे में बताया गया तो वह अचल ताल पर चले गये। यह मंदिर बहुत प्राचीन बताया जाता है। लेकिन उस समय तक ये पुजारी क्या कहता है ये आज तक नहीं पता चला. लेकिन इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान यह लगाया जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ जी ने यहां अचल ताल पर पूजा की थी।

इस मंदिर में पूजा करने से होते हैं सारे कष्ट दूर

कहा जाता है कि इस मंदिर में 41 दिन तक पूजा करने का कष्ट हो सकता है। यहां दर्शन करने से मंदिर के प्रादुर्भाव से मुक्ति मिलती है, दर्शन करने से शनि ग्रह के प्रादुर्भाव से गिलहराज जी प्रसिद्ध को गिर्राज मंदिर भी कहा जाता है। अन्य मंदिरों की बात करें तो सिद्धांत के अनुसार हनुमानजी को एक से अधिक चोला एक दिन में नहीं चढ़ाते, लेकिन यहां पर बजरंगबली को 50-60 फूलों के चोले रोज चढ़ाते हैं।

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