‘बहुत बिजी हैं, सिर्फ तारीख पर डेट दे रहे हैं’; कांग्रेस पर क्यों भड़के महाराष्ट्र के सहयोगी
समूह से बातचीत में कहा गया कि गठबंधन के घटक दल (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र रैपर) और कुछ छोटे क्षेत्रीय दल आज मुंबई में बैठक करेंगे और मित्रता में आ रही पार्टियों को दूर करने की कोशिश करेंगे।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय कश्यप ने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी महा विकास अघाड़ी (एमवीई) में सीट मित्रता को लेकर देरी के लिए बुधवार को कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। समूह से बातचीत में कहा गया कि गठबंधन के घटक दल (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र रैपर) और कुछ छोटे क्षेत्रीय दल आज मुंबई में बैठक करेंगे और मित्रता में आ रही पार्टियों को दूर करने की कोशिश करेंगे। महाराष्ट्र विधानसभा में इस साल नवंबर में चुनाव होने की उम्मीद है।
बैतूल ने कहा, ”कांग्रेस इन दिनों एकजुट है लेकिन फिर भी हमने उन्हें बुलाया है ताकि इसे (सीट मित्रता पर बातचीत) खत्म किया जा सके। वे बहुत जुड़े हुए हैं इसलिए तारीख पर तारीख दे रहे हैं। इसलिए हमने फैसला किया है कि अगले तीन दिन में हम साथ बैठेंगे।” किलर ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस, बीजेपी (यूबीटी) और राकांपा (एसपी) के नेता रविवार से शुक्रवार को आपस में बातचीत करेंगे।
उन्होंने दावा किया कि मुंबई की सीट को लेकर बातचीत करने के लिए लगभग सभी व्यापारी हो चुके हैं लेकिन हमें क्षेत्रवार चर्चा की जरूरत है क्योंकि महाराष्ट्र बड़ा राज्य है।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीट रिजर्व पर महा विकास आघाड़ी के घटक दल तीन दिन तक बातचीत करने जा रहे हैं। इस दौरान राज्य के सभी 288 प्रशंसकों पर चर्चा होगी कि कौन सी पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी। शैतान ने कल भी कहा था कि इस बैठक में जो फॉर्मूला तय होगा, वही आखिरी होगा। शैतान ने यह भी कहा कि कौन सी पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी, इसका फैसला उसकी जीत की क्षमता के आधार पर तय होगा।
जब उनसे पूछा गया कि इस वर्ष कांग्रेस और राकांपा (सपा) ने विपक्षी दलों (यूबीटी) की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है, तो नोबेल ने कहा कि उनकी पार्टी के वोट इन दोनों पक्षों में बड़े पैमाने पर स्थानांतरित हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी (यूबीटी) ने कोल्हापुर, अमरावती और रामटेक सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी है। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर पारंपरिक रूप से उनकी पार्टी चुनाव लड़ती थी। बबूल ने कहा कि अगर ये दलित उम्मीदवार पास होंगे, तो वह निश्चित रूप से जीतेंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी (यूबीटी) के दार्शनिक ने भी राकांपा (एसपी) के लिए कड़ी मेहनत की है, जिसमें बारामती की सीट भी शामिल है।