मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? पितृ पक्ष में तर्पण से जुड़ा है पितृ पक्ष, पितृ पक्ष से जुड़ा है पितृ पक्ष
खरगोन. अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि अंतिम मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति कैसे होती है? इस पर प्राचीन शास्त्रों में कई बातें बताई गई हैं। गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण सहित अन्य धर्म शास्त्रों में आत्मा की गति और मुक्ति का विस्तार से वर्णन है, जो व्यक्ति के कर्मों का आधार निर्धारित करता है।
खरगोन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज मेहता ने लोकल 18 को बताया कि गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण और पद्म पुराण जैसे शास्त्रों में भी आत्मा की गति और मुक्ति को लेकर उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि यदि किसी सामान्य व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा 12 दिन तक उस स्थान पर रहती है। 13 वें दिन से उनकी यात्रा यमलोक की यात्रा शुरू हुई। यह यात्रा आत्मा के कर्मों के आधार पर तय होती है।
योगियों को नहीं भोगनी होगी यातनाएं
धर्मनिष्ठ व्यक्ति की आत्मा मृत्यु के बाद उसके सभी कर्मों और पापों से मुक्त हो जाती है और उसे यमदूतों का सामना नहीं करना पड़ता है। योगियों के लिए यह प्रक्रिया अलग होती है, वे सीधे उर्ध लोकों में जाते हैं। लेकिन, जो लोग सामान्य कर्मों में भागीदार होते हैं, वे यमलोक की यात्रा पर जाते हैं।
प्रेतकल्प के अनुसार मुक्ति यात्रा
पंडित पंकज की गवाही में बताया गया है कि गरुड़ पुराण के प्रेतकल्प में आत्मा को यमलोक तक पहुंचने में 348 दिन लगते हैं। यमलोक और मृत्युलोक (धरती) के बीच 86,000 योजना का अंतर होता है। व्यक्ति की आत्मा प्रतिदिन 247 योजना बनाती है। इस दौरान आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर सुख या दुःख का अनुभव होता है।
पापी और पुण्यात्मा की स्थिति
यदि कोई पापी होता है तो यमलोक की यात्रा में उसे अनेक कष्टों और दंडों का सामना करना पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार, पापी देवताओं को यमलोक की यात्रा के दौरान सजा दी जाती है और उन्हें विभिन्न यातनाओं से रूबरू कराया जाता है। वहीं, पवित्र पेय पदार्थों को किसी भी प्रकार का आकर्षण नहीं होता है और उनकी यात्रा औषधि होती है।
मृत्यु के बाद मुक्ति के दो प्रकार
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शास्त्रों में दो प्रकार की मुक्ति का उल्लेख है, सामान्य मुक्ति। जो योगी या धर्मनिष्ठ होते हैं, उनसे मुक्ति प्राप्त होती है। उनके शरीर त्यागने के बाद वे सीधे उर्ध लोकों में चले जाते हैं और उन्हें यमदूतों से सामना नहीं करना पड़ता। वहीं, सामान्य कर्मों में शामिल लोग कर्मों से मुक्त होने के बाद भी यमलोक की यात्रा करते हैं।
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष के दौरान किये गए श्राद्ध और तर्पण कर्म आत्मा की मुक्ति में सहायक होते हैं। पंडित ने लिखा है कि इस समय मोक्ष की ओर ले जाने में कोई भी कर्म उन्हें मोक्ष की ओर ले जाने में मदद नहीं करता है।
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पहले प्रकाशित : 19 सितंबर, 2024, 17:42 IST
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