सर्दियों के कपड़े: फेरीवालों के कपड़े क्या अच्छे होते हैं? इस इंटरव्यू में बताया गया सच, गांव-गली में धड़ाधड़ सेल
छतरपुर: ठंड का मौसम शुरू हो गया है. लोग हॉट फोटोशूट की दुकान कर रहे हैं। ठंड से बचने के लिए मॉल और बड़े डिपो के हॉट प्रोडक्ट सेज किए गए हैं। सड़क किनारे भी सेल लगी है. वहीं, फेरी वाले भी घर-घर में आकर्षक कपड़े बेच रहे हैं। लेकिन अक्सर लोगों के मन में ये सवाल आता है कि फेरीवालों के घर और दुकानें क्या होती हैं?
छतरपुर में फेरी लगाने वाले दीपक रैकवार ने इस सवाल का सही और खुला जवाब दिया। दीपक बांदा से छतरपुर में कपड़े पहने हुए आते हैं। जिले के सभी फेरी लगाने का काम करते हैं। चार पहिया गाड़ियों के साथ बाइक में भी गांव-गांव में कपड़े बनाने का काम किया जाता है। हालाँकि, छतरपुर के साथ ही महोबा में भी वह कपड़ा बेचने का काम करते हैं।
लोगों को पसंद आते हैं कपड़े
दीपक ने बताया, गांव के लोग हमारी पोशाकें पसंद करते हैं। मॉल और बड़ी कंपनियों में ब्रांडेड कपड़े मिलते हैं, जो बाजार में मिलते हैं। लेकिन, हमारे प्लांट्स भी अच्छी क्वालिटी के होते हैं, जो कम कीमत में मिल जाते हैं। ऐसा नहीं है कि भिन्न भिन्न गुणधर्म है. ये भी आराम तो साल-दो-साल चलते हैं। गांव के लोगों को ये कपड़े पसंद आते हैं, तभी हम इतना पेट्रोल खर्च करके यहां आते हैं। दीपक इंजीनियर हैं, मौसम के अनुसार सामान दुकानें हैं। जैसे अभी ठंड का मौसम शुरू है तो लवर, फुल टी-शर्ट और लचीलेपन बेच रहे हैं। बैल के मौसम में छतरी, रेनकोट जैसे आभूषण आभूषण हैं।
अलग-अलग दाम में कपड़े मिलते हैं
दीपक के मुताबिक अभी लवर, फुल टी-सटारे बेच रहे हैं, 250 रुपए है। लोग दाम कमाते हैं की ज्यादातर जिद करते हैं तो 20-30 रुपये कम कर देते हैं. उनके उत्पाद अत्यंत विश्वसनीय होते हैं।
इतना ही
दीपक कहते हैं कि 1 कपड़े में 20-40 रुपए बच जाते हैं। सुबह घर से सुपरमार्केट जाते हैं और शाम को स्टॉक घर आ जाते हैं। रिजर्व में 1100 से 1200 रुपये की सेल होती है. तेल खर्च के बाद 600 से 700 रुपये की दिहाड़ी निकलती है।
पहले प्रकाशित : 17 नवंबर, 2024, 15:07 IST