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एक दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं चीन और भारत, चीनी दूत ने की PM मोदी की तारीफ

भारत में चीन के राजदूत शू फीहोंग ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” की नीति जमकर तारीफ की। चीनी राजदूत ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था ने तेजी से विकास किया और लोगों के जीवन स्तर में लगातार सुधार हुआ। शू फीहोंग ने कहा, “1990 के दशक से भारत ने आर्थिक और सामाजिक सुधारों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” की नीति को आगे बढ़ाया और भारत की अर्थव्यवस्था ने तेजी से विकास किया और लोगों के जीवन स्तर में लगातार सुधार हुआ।”

भारत में चीन के राजदूत, शू फीहोंग ने एक सम्मेलन में कहा कि “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह दोहराया कि चीन का शांतिपूर्ण विकास के मार्ग पर चलने का संकल्प अडिग रहेगा। चीन और भारत के नेताओं ने महत्वपूर्ण सहमति बनाई है कि चीन और भारत साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। वे एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि विकास के अवसर हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इस सहमति ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों के विकास को बढ़ावा दिया है, बल्कि दोनों देशों के लिए आधुनिकता को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी प्रदान किए हैं।

शू फीहोंग ने बताया कि वर्तमान में चीन-भारत संबंध सुधार और विकास के एक महत्वपूर्ण चरण में हैं। हाल के महीनों में चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के बीच दो बार बैठकें हुई हैं, और कुछ दिन पहले चीनी राजदूत की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात हुई थी। इन बैठकों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों के सुधार पर गहन संवाद हुआ और महत्वपूर्ण सहमति बनी।

राजदूत ने भारत की आर्थिक प्रगति और सुधारों पर भी चर्चा की, उन्होंने कहा, “1990 के दशक से भारत ने आर्थिक और सामाजिक सुधारों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ की नीति को आगे बढ़ाया है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है और लोगों के जीवन स्तर में निरंतर सुधार हो रहा है। मैं भारत द्वारा सुधारों के माध्यम से प्राप्त उपलब्धियों पर बधाई देता हूं।”

उन्होंने यह भी कहा, “केवल चीन और भारत जैसे देश ही समझ सकते हैं कि 1.4 अरब की आबादी वाले देश में सुधार को बढ़ावा देने के लिए कितने प्रयास करने होते हैं। हम भारत के साथ सुधारों पर अनुभव साझा करने, विकास रणनीतियों का समन्वय करने, और एक-दूसरे से सीखने के लिए तैयार हैं ताकि हम साथ में प्रगति कर सकें।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि चीन और भारत अपने संबंधों को सुधारने के लिए नई पहल कर रहे हैं और दोनों देशों के लिए आर्थिक सुधार और विकास के कई नए द्वार खुल सकते हैं।

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