क्राइम

अलग-अलग तरह के फर्मों पर बेचा गया था वह शख स्टॉक, अचानक पुलिसवाले के कान में कह गई ऐसी बात, सारा गाना हुआ महकमा

दिल्ली पुलिस: फिलाडेल्फिया के होजाखास इलाके में भिखारियों की तरफ देखने वाला शाख तटबंध लंबे समय से फर्म के पोर्टफोलियो-गिरद में रहता था। रविवार को भिखारियों की तरह दिखने वाला यह शख़्स उल्टे-सीधे इलाक़े से गुजर रहा है एक पुलिस वाले के पास पहुंच और उसके मालिक के पास कुछ ऐसा बोला कि उसकी आंखें खुली और मुंह खुला रह गया। इस भिखारिन से बात करने के बाद कार्यशाला कुछ कदम दूर चली गई और फोन पर अपने आला अधिकारियों से बात करने लगी। इसके बाद, कुछ ही मिनट में आभास हुआ कि एक-एक दल पुलिस अधिकारी सफदरजंग हॉस्पिटल के पास की स्थिति के बारे में पास के पास पहुंचना शुरू हो गया।

यहां इन पुलिस अधिकारियों को कुछ ऐसा मिल गया, देखने के बाद सबसे बड़ी राहत की लंबी सांस ली। दरअसल, यह पूरा मामला 16 साल के एक महल की गुमशुदगी से जुड़ा है। हौज़खास थाने में इस प्रतिष्ठान की गुमशुदगी को लेकर 22 अगस्त को शिकायत दर्ज की गई थी। अपनी याचिका में छात्रा के पिता ने पुलिस को बताया कि वह मूल रूप से बिहार के मदरसा में रहता है। फिलाफिया में वह अपने परिवार के साथ एम विचारधारा के निकट स्थित शोधकर्ता नगर में रहती है। डेज़ डेज़, कक्षा नौ में पढ़ने वाले 16 साल के बेटे को पढ़ाई को लेकर डांटा था, जिसके बाद उनका बेटा नाराज होकर घर से कहीं चला गया।

200 से अधिक शॉट्स की रिकॉर्डिंग की गई
वकील साहब को पुनर्जीवित करने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन उनके ठिकाने के बारे में कुछ पता नहीं चला। जिसके बाद, स्कॉटलैंड पुलिस से मदद मिली। पिता की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय राष्ट्रीय संहिता की धारा 137 (2) के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी। नामांकित (दक्षिणी जिला) अंकित चौहान के अनुसार, केस की भर्ती को नियत्रित हौजखास के नेतृत्व सिद्धांत में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें सब-इन-इन-क्रिश्चियन सचिव दीपेंद्र, साहेब-इन-इन-सहायक सलाहकार बिशन, एएसआई-इन-इन-सक्रिय सलाहकार प्रदीप, हेडकॉन-इन-समुचित सलाहकार अमित, हेडकॉन शामिल हैं। हेडकॉन मूर्तिकला संग्रहालय और कॉन्स्टेंटिनोपल संग्रहालय में राजेश भी शामिल थे।

अंकित अंकित चौहान ने बताया कि बस्ती को जल्दी से जल्दी राहत दिलाने के लिए इलाके में 200 से अधिक चट्टानों को तोड़ना पड़ा। आरडी स्टूडियोज में शामिल धार्मिक अवशेष से बचतेच की गई, ऐसा ही नहीं, अलग-अलग रिकॉर्ड खिलाड़ियों में सभी स्थानों पर भी साथियों की तलाश की गई, जहां एम व्याख्यान, एम नामांकन ट्रामा सेंट और सफदरजंग अ विशेषज्ञ होटल आने वाले लोग रहते हैं। इन तेलंगाना में बालाजी से मुलाकात नहीं होने पर पूछताछ के हिस्से को सरोजनी नगर और लाजपत नगर तक फैला दिया गया। लापता लड़के की जानकारी जिपनेट पर अपलोड कर दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व जिले के विशाल पुस्तकालय से भी मदद ली गई।

26 दिन की जद्दोजहद के बाद पुलिस को मिली तस्वीर
इसके अलावा, पुलिस ने लापता आरोपियों के दोस्तों से भी लंबी बातचीत की, 26 दिनों के लापता बच्चों के बारे में कुछ भी पता नहीं चला। इसके बाद, पुलिस ने इस गोदाम से जुड़े पो पोर्टर बंदरगाह में प्रवेश शुरू कर दिया। 18 सितम्बर को एक ड्राइवर शेख़ की नज़र इस पोएटर में छपी। उन्होंने तत्काल कालखंड से गुजर रहे पुलिस कर्मियों को बताया कि इस पोमैटर में जिस लड़के की फोटो लगी है, वह सफदरजंग हॉस्पिटल के करीब अंडरपास में स्थित है। इस जानकारी से पता चला कि पुलिस कर्मियों की आंखे कटी हुई और मुंह खुली रह गईं।

पुलिस विभाग ने तत्काल इसकी जानकारी अपने आला अधिकारी से साझा की और फिर इस बैचेले को कुशल सफदरजंग हॉस्पिटल के नजदीकी स्थिति अंडरपास को खोजा गया। बातचीत करने के बाद पुलिस ने सामाने को उसके ससुराल वालों के पास भेज दिया। एक तरह, सड़क में गाड़ी चलाने वाले जिंदगी वाले ने सिर्फ पुलिस की मदद नहीं की, बल्कि एक घर का चिराग लौटने में भी मदद की। यहां पुलिस के लिए उनका एक केस खतम हो गया और बाकी लोगों को उनका सामान वापस मिल गया।

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