क्राइम

एयरपोर्ट पर कैबेज की थी कोशिश, एयर इंडिया के प्लेन में घुसे 47 दोस्त, 6 घंटे तक रुके कांपट, और फिर हुआ सब खत्म!

विमान अपहृत कहानी श्रृंखला: जांबिया के लुसाका हवाईअड्डे से उड़ान की मंजूरी वाली एयर इंडिया की उड़ान AI-224 को करीब 21 घंटे का पूरा कर मुंबई के छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का टिकट दिया गया था। एयर इंडिया ने इस यात्रा के लिए अपना बोइंग 707 एयरक्राफ्ट स्थापित किया था। फ़्लैट जर्नी वेव और एयरक्राफ्ट की फ़्यूल कैपेसिटि लिमिटेड थी, इम्पैक्ट प्लेन को रिफ़्यूलिंग के लिए माहे (सेशेल्स) में रुकना था। माहे में रिफ्यूलिंग के दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिसने एयर इंडिया की उड़ान AI-224 को इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया। आज भी इस हवाई जहाज की बात होती है, इस हवाई जहाज से यात्रा करने वाले यात्रियों के शरीर सिरहान में पैदा होते हैं।

दरअसल, ये घटना आज से करीब 43 साल पहले की है. 25 नवंबर 1981 को एयर इंडिया की उड़ान एआई-224 जांबिया के लुसाका एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी। इस फ्लाइट में 65 यात्रियों के अलावा 13 केबिन क्रू भी मौजूद थे। करीब 10 घंटे का सफर पूरा करने के बाद यह उड़ान माहे के सेशेल स्टॉक एक्सचेंज पर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उड़ान भरता है। यहां पर प्लालेन को रिफ्यूल स्टाकल्स ने अपने आगे की यात्रा पूरी की थी। एयर इंडिया के प्लेन में रिफ्यूलिंग का प्रॉजेक्ट चल ही रहा था, तभी सेशेल कोलेक्शन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बड़ी घटना घटी। दक्षिण अफ्रीका के वोल्वो सेशेल इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर करीब 47 लोग सवार हो गए। सिक्योरिटी एजेंसी से इन सभी एयर इंडिया के खिलाड़ियों के बीच में खिलाड़ियों की हिस्सेदारी हो गई।

प्लायन को डरबन एल जाना चाहते थे हाईजैकर्स
प्लाईलेन में पैलेश वाले सभी साथी अत्याधुनिक हवाई जहाज़ और हैंड ग्रेनेड से लैस थे। इंटरनेट ने मौजूद सभी यात्रियों और क्रूबर्स को बंधक बनाकर प्लेन को हाईजैक कर लिया। हाईजैकर्स के किंगपिन पीटर डेफी कॉन्स्टैंट कप, यूरोपियन कैपिटल, जापान, साउथ अफ्रीका के डरबन ले जाने की मांग कर रहे थे। कैपेसिटेंस ने निर्भीक बाय हाईजैकर्स का न केवल सामना किया, बल्कि अपनी समझदारी से खेलने को एयरपोर्ट पर रोके रहे। प्लेन हाईजैक के बाद सेशेल अलाउंसमेंट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पूरी तरह से बदल दिया गया था। अब किसी भी तरह हाईजैकर्स के जहाज़ों से यात्रियों और केबिन क्रू को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला गया था। बदहवास शादीशुदा और हाईजैकर्स के बीच बातचीत का दौर शुरू हुआ।

और फिर, इस तरह सब हो गया ख़तमा…
हाईजैकर्स और प्लांट के बीच निगोशिएशन का यह दौर करीब छह घंटे तक चला। इन छह घंटों के दौरान, प्लैन के अंदर बैठी सवारी और क्रू का किराया बहुत खराब था। सभी डर के मारे थरथर कांप रहे थे। हाईजैकर्स के हाथ में मौजूद स्मारक वाइप्स और उनके एग्रेसिव अंतिम संस्कार को लेकर बेहद आश्चर्य हो रहा था। हर किसी को हर पल अपनी जिंदगी का आखिरी पल लग रहा था। करीब छह घंटे की जद्दोजहद के बाद हाईजैकर्स प्लेन में मौजूद यात्रियों और क्रू को छोड़ने के लिए तैयार किया गया। पैसेंजर और क्रू को रवाना होने के बाद हाईजैकर्स ने भी एटमसमर्पण कर दिया। जिसके बाद सभी हाईजैकर्स को गिरफ्तार कर केस जारी किया गया। केस की सुनवाई में पूरी तरह से हाईजैकर्स को एक साल से लेकर 20 साल तक की सजा सुनाई गई।

विदेशी जमीन पर भारतीय खिलाड़ियों का पहला हाईजैक
बता दें कि 80 के दशक में यह दूसरा प्लेन हाईजैक था। इससे पहले सिखों ने अमृतसर से अलफांस जा रहे इंडियन एयरलाइंस के विमानों को हाईजैक कर लिया था। इस प्लालेन को लाहौर में उतारा गया था। जहां पर सेना के एसएसजी ने कमांडो ऑपरेशन कर सभी यात्रियों और क्रू मेंबरों को हाइजैकर्स के हमले से बचाया था। वहीं 70 के दशक की बात करें तो कुल 3 पीएल बातों को हाईजैक कर लिया गया था. 70 और 80 के दशक में यह पहली ऐसी घटना थी, जब किसी भारतीय विमान को विदेशी सरजमीं पर हाईजैक कर लिया गया था।

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