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एम्स और IIT ने भी कर दिया कंफर्म, योग निद्रा के हैं अद्भुत फायदे, ब्रेन में बढ़ जाती है शक्ति

योग निद्रा के लाभ: आपने सुना होगा कि भगवान विष्णु आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. वास्तव में योग निद्रा एक यौगिक अभ्यास है जो प्राचीन समय में तपस्या करने वाले ऋषि मुनि किया करते थे.आज भी यह परंपरा कायम है. योग निद्रा सोने और जागने के बीच की अवस्था है. इसमें अभ्यास करने वाला व्यक्ति जगा तो रहता है लेकिन उसका दिमाग एक ही अवस्था में स्थिर रहता है.इसमें शरीर एकदम शिथिल हो जाता है और एक ही अवस्था में शरीर का हर अंग स्थिर हो जाता है. इस समय व्यक्ति दिमाग में कुछ नहीं लाता है.चेतना की यह अवस्था ध्यान से अलग है. ध्यान में किसी एक चीज पर मन को फोकस किया जाता है जबकि योग निद्रा में मन में शून्यता लाई जाती है और शयन किया जाता है. हमारे धार्मिक ग्रंथों में योग निद्रा के कई फायदे पहले से बताए गए हैं लेकिन अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने भी इस पर मुहर लगा दी है.

दिमाग में अलर्टनेस बढ़ता है
आईआईटी दिल्ली की एक रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च में जब योग निद्रा करते समय MRI किया गया तो उसमें पाया गया कि इससे ब्रेन में बहुत तरह के बदलाव आ जाते हैं. इससे ब्रेन की सेंसिटिविटी बढ़ जाती है और इससे कई तरह के मनोवैज्ञानिक फायदे मिलते हैं.अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पहली बार योग निद्रा के समय दिमाग में खून के वहाव का परीक्षण किया और यह जानना चाहा कि यह कैसे काम करता है.अघ्ययन के मुताबिक योग निद्रा के वक्त आराम की अवस्था में भी तंत्रिका तंत्र बेहद संवेदनशील रहता है. दरअसल, हमारे मस्तिष्क में एक डिफ़ॉल्ट मोड नेटवर्क (DMN) होता है. यह दिमाग का वह हिस्सा है जिसमें मस्तिष्क के सारे सिग्नल एक-दूसरे से जुड़े होते हैं.जब हमारा ध्यान किसी चीज पर नहीं भी रहता तब भी यह मजबूती से एक्टिव रहता है. आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं के अनुसार,यह मस्तिष्क का एक बैकग्राउंड मोड है जो तब सक्रिय होता है जब हम दिन में सपने देखते हैं या अपने में मगन रहते हैं या हमारा विचार भटकता रहता है. अध्ययन में पाया गया कि जो लोग बेहतर तरीके से योग निद्रा करने में निपुण हैं, उनका डिफ़ॉल्ट मोड नेटवर्क (DMN) नौसिखियों की तुलना में बेहद अलग है. इनका दिमाग गहरे विश्राम में भी जाग्रत अवस्था में रहता है.अध्ययन के मुताबिक योग निद्रा के समय जो इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं, उन्हें सुनने या उसे डिकोड करने में दिमाग का अलर्टनेस बेहद तत्पर हो जाता है.

अवचेतन मन में दबे विचारों को बाहर लाता है
स्टडी में कहा गया कि जो व्यक्ति जितनी देर तक योग मुद्रा का अभ्यास कर लेते हैं उनके दिमाग में उतने तरह से बदलाव स्पष्ट नजर आते हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि अनुभवी योगिकों में नौसिखियों की तुलना में मानसिक भटकाव कम होता है, जो डिफ़ॉल्ट मोड नेटवर्क (DMN) की कनेक्टिविटी में बदलाव की ओर ले जाता है. इस स्टडी के शोधकर्ता आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर राहुल गर्ग के मुताबिक हमारे योग के प्राचीन किताबों में यह लिखा हुआ है कि योग निद्रा गहरे अवचेतन मन में पहले से दबे संस्कारों या रचनात्मकता को बाहर लाने में मदद करता है और इससे अंततोगत्वा तन और मन को सुख प्राप्त होता है. इससे हेल्थ बेहतर रहती है. इस अर्थ में इस रिसर्च में दिमाग के उस हिस्सों का योग निद्रा द्वारा सक्रिय होना बहुत बड़ी खोज है. इससे हमें दिमाग के अंदर दबी पड़ी चीजों को बाहर निकालने में मदद मिलेगी.

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