दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित हो जाएगा नोएडा? जहर उगलेगी हवा, ये 5 खतरनाक संकेत दे रहे गवाही
सर्दी आने से पहले ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर बढ़ गया है. दिल्ली और नोएडा में एक्यूआई खराब और बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है.
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण: अभी तक प्रदूषण के मामले में पूरे एनसीआर में दिल्ली शहर का ही नाम सबसे ऊपर रहता आया है. सर्दियां अभी शुरू भी नहीं हुईं कि दिल्ली में धूल और प्रदूषित हवा की चादर बिछने लगी है. लेकिन अब एक और शहर है जो एयर पॉल्यूशन की रेस में इससे भी आगे निकलता दिखाई दे रहा है. खराब एयर क्वालिटी में भारत में टॉप करने वाली दिल्ली को छोड़कर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बसने वाले लोगों के सामने अब बड़ा संकट खड़ा होने वाला है क्योंकि यही प्रदूषण अब उन्हें नोएडा में और भी ज्यादा खतरनाक रूप से परेशान कर सकता है. हालिया आंकड़े और पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले समय में नोएडा दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित शहर बन सकता है.
बता दें कि पिछले सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और यूपीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार पिछले 3 दिनों से जहां दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब या बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है, वहीं नोएडा के कुछ इलाकों में एयर क्वालिटी सीवियर यानि गंभीर स्तर पर दर्ज की गई है. जिसमें नोएडा का सेक्टर 125 सहित कई इलाके शामिल हैं. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर पहुंच गया था. एक्सपर्ट की मानें तो ऐसा होना आने वाले समय में बड़े खतरे का संकेत है.
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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायनमेंट में एयर पॉल्यूशन कंट्रोल यूनिट में प्रिंसिपल प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्याय, News18hindi से कहते हैं कि आने वाले समय में नोएडा-ग्रेटर नोएडा दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित हो जाएं, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसके पीछे कई ठोस वजहें हैं.
- डाउन विंड क्षेत्र
विवेक कहते हैं कि प्रदूषण का स्तर हवा की स्पीड पर भी निर्भर करता है और इन दोनों शहरों में प्रदूषण बढ़ने का एक बड़ा कारण हवा की गति और हवा का रुख भी है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा दिल्ली के डाउन विंड क्षेत्र में आते हैं. मौसम बदलता है तो हवा की दिशा बदलती है. आमतौर पर दिल्ली का प्रदूषण इन दोनों क्षेत्रों से होकर निकलता है. वहीं अगर हवा की गति कम है तो वह इन क्षेत्रों में ठहर भी जाता है.
2. औद्यौगिक क्षेत्र
दिल्ली के मुकाबले नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र हैं. यहां इंडस्ट्रीज बहुत ज्यादा हैं, इनमें से निकलने वाली गैसें और प्रदूषण तत्व यहां की हवा में जहर घोलते रहते हैं. जिनकी वजह से प्रदूषण का स्तर यहां रेजिडेंशियल इलाकों के मुकाबले ज्यादा ही रहता है.
3. पॉवर कट
दिल्ली में पॉवर कट बहुत कम होता है जबकि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रोजाना ही पॉवर कट की समस्या बहुत ज्यादा है. ऐसे में इलेक्टिसिटी बार-बार कट होने से यहां मौजूद इंडस्ट्रीज काम चालू रखने के लिए डीजल आदि से चलने वाले हैवी जेनरेटर या अन्य विकल्पों को अपनाती हैं जो प्रदूषण फैलाने में बहुत आगे हैं.
4. पब्लिक ट्रांसपोर्ट कम होना
दिल्ली के मुकाबले नोएडा-ग्रेटर नोएडा में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा 50 फीसदी भी नहीं है. मेट्रो, इलेक्ट्रिक बसें आदि की सुविधा बहुत कम है. यहां रहने वाले ज्यादातर लोग निजी वाहनों का ही इस्तेमाल करते हैं. साथ ही पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह होने के चलते, यहां एक-एक घर में कई-कई टूव्हीलर और फोर व्हीलर गाड़ियां आसानी से मिल जाती हैं. ऐसे में जब ये गाड़ियां चलती हैं तो इनसे निकलने वाला धुआं, पार्टिकुलेट मेटर प्रदूषण के लेवल को बढ़ाने में योगदान देते हैं.
5. तेजी से कंस्ट्रक्शन
दिल्ली के अलावा अन्य शहरों की लाखों की आबादी के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शिफ्ट होने के चलते यहां इन लोगों के लिए रिहाइशी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कंस्ट्रक्शन में तेजी आई है. साथ ही इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल निर्माण भी बढ़ा है. जिस तरह दिल्ली में प्रदूषण को लेकर निर्माण कार्य आदि पर रोक लगती है, नोएडा में ऐसा कम ही देखने को मिला है.
नोएडा में जहरीली हो जाएगी हवा?
विवेक चट्टोपाध्याय कहते हैं कि जैसे-जैसे ठंड का मौसम आएगा और दिल्ली में प्रदूषण स्तर बढ़ेगा, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हालात और भी विकट हो सकते हैं. यहां की हवा में अभी से जहर घुलने लगा है, अगर अभी से इन शहरों में प्रदूषण स्तर को कंट्रोल करने की कोशिशें नहीं की गईं तो आने वाले दिनों में यहां रहना ज्यादा मुश्किल हो सकता है.
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पहले प्रकाशित : 26 सितंबर, 2024, 11:21 IST