बिहार

जमुई समाचार: फर्जी आईपीएस की तरह की फर्जी कहानी, खुद ही मिथिलेश ने कहा था बिजनेस, नहीं है कोई पैसे लेने वाला मनोज

जमुई. तारीख थी 20 सितंबर और इसी दिन जमुई जिले के सिकंदरा चौक से पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार कर लिया, जो कथित तौर पर आपत्तिजनक हालत में घूम रहा था. नौकरीपेशा के बाद उसने पुलिस को जो कुछ बताया उसे जानकर हर कोई हैरान रह गया। युवक ने दावा किया कि उसने एक व्यक्ति के लिए 2 लाख 30 हजार रुपये की धोखाधड़ी की। इसके बाद उसे यह पुलिस की वर्दी और एक पुस्तिका भी दी गई। लेकिन अब इस मामले में ऐसे स्टूडेंट वाले तथ्य सामने आए हैं, जिन्हें जानकर आप बर्बाद हो जाएंगे।

अलेक्जेंडर को ग़ैरकानूनी अपराधी करार दिया गया था
20 सितंबर को जमुई जिले के सिकंदरा चौक से पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार किया था. लक्खी जिले के हल्दी थाना क्षेत्र के गोवर्धनबीघा गांव के रहने वाले मिथिलेश कुमार खुद को धोखा देकर सिकंदरा चौक पर घूम रहे थे। तभी पुलिस ने उस पर नजर रखी और उसे गिरफ्तार कर लिया। लेकिन उसके अपराधी के बाद उसने पुलिस को यह बताया कि उसने जमुई जिले के ही खैरा थाना क्षेत्र के किसी मनोज सिंह को पैसे दिए हैं, ताकि वह उसका अपराधी बन जाए। इसके बाद पुलिस ने उससे कुछ पूछताछ की और उसे पीआर बॉन्ड पर छोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने केस को अंतिम रूप दे दिया।

सामने आई हैरान करने वाली कई बातें
करीब दो सप्ताह लगातार पुलिस इस मामले में लगातार जारी रही। इन दोनों में पुलिस ने मनोज सिंह की तलाश की और खैरा थाना क्षेत्र के कई लोगों को मनोज सिंह की दुकान पर बुलाया और उन्हें मिथिलेश के सामने लाया। लेकिन मिथिलेश ने किसी को भी अस्वीकृत कर दिया। इतनी ही नहीं पुलिस इस मामले में मनोज के गुप्त मोबाइल नंबर की भी पुष्टि करती रही।

त्रिशूल पुलिस वैल्यूएशन के प्रधान मंत्री श्यामला सुमन ने बताया कि इस मामले में मिथिलेश के द्वारा मनोज के द्वारा बताई गई सारी कहानी अब तक दिलचस्प हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारी जांच में यह सामने आया कि मिथिलेश ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह पूरी तरह से फर्जी है। मिथिलेश ने पुलिस को बताया कि खैरा के किस तरह मनोज सिंह को पैसे दिए गए हैं। जबकि ऐसा कोई मनोज सिंह है ही नहीं. उसने जो नंबर पुलिस को दिया है, वह नंबर भी किसी मनोज सिंह का नहीं है, बल्कि उसका ही कोई जान-पहचान वाला व्यक्ति है, जो पिछले कई माहीनो से इस्तेमाल में भी नहीं है.

टावर के दरवाजे से खुला सच, खुद के दरवाजे थे शोरूम
त्रिशूल पुलिस ने बताया कि मिथिलेश ने पुलिस को यह बताया था कि मनोज सिंह ने उसे सहायक और सहायक खैरा बाजार हाई स्कूल मैदान के पास स्थित दिया था और उसने 20 सितंबर को भी पुलिस को बताया था। लेकिन जब उसके मोबाइल डाटा की जांच की गई, तो जिस वक्त उसने कहा कि मनोज सिंह ने उसके साथ मारपीट करने का दावा किया है, उस वक्त उसने अपने मोबाइल डाटा में सुई चुभोने की बात कही थी। जब पुलिस की टीम ने वहां जांच की तो पता चला कि वह खुद ही लखीसाइस की किसी दुकान से अपने लिए सामान बेच रही है। इसके बाद वह अलेक्जेंडर चल आया। अब पुलिस और बाजार में पुलिस कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर मिथिलेश ने पुलिस की डकैती क्यों की और उसका मकसद क्या था।

सोशल मीडिया पर एक बड़ा मामला है
20 सितंबर को जिस वक्त जमुई के सिकेरा चौक से मिथिलेश को पुलिस ने पकड़ा था तब से ही यह पूरा मामला सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। इस पर कई तरह के रील और मीम्स बनाए गए हैं. कई भोजपुरी गाने भी इस पर सामने आ चुके हैं. जिसमें एक टैगलाइन ‘आइए ना हमारा बिहार में, 2 लाख 30 हजार में घोटाला बना देगा’ बड़ा ही वायरल हो रहा है। लेकिन इस पूरे केस में जो भी फाइटर्स वाले खुलासे हुए हैं, उसके बाद यह कहा जा सकता है कि मिथिलेश ने खुद ही इस पूरे की साजिश रची थी और वह खुद ही क्रिमिनल बन गए और उन्होंने यह सब धोखा दिया था। असुइन ने बताया कि क्या जरूरत है तो इस मामले में मिथिलेश के खिलाफ आगे की कार्रवाई भी की जाएगी।

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