बिहार

पटना समाचार: 28 साल से 50 बच्चों के 21 कलश सीने पर 9 दिन तक अन्न-जल त्याग कर मां की साधना की है ये पुजारी

पटना. पटना के नौलखा दुर्गा मंदिर में हर साल नवरात्रि के दौरान एक ऐसा दृश्य देखने को मिलता है, जो भक्ति भाव की गहराइयों को छू जाता है। यहां के पुजारी नागेश्वर बाबा ने अपनी अनूठे साधना और दान से भक्ति की एक नई परिभाषा दी है। पिछले 28 वर्षों से, नागेश्वर बाबा नवरात्रि के नौ दिनों तक अपने सीने पर 50 किलो वजनी 21 कलशों की स्थापना कर माँ दुर्गा की आराधना करते हैं। बिना अन्न-जल ग्रहण किये, वे इस कठिन साधना को पूर्ण श्रद्धा से समाप्त कर देते हैं। यह सिर्फ उनके लिए नहीं है, बल्कि आस्था और शक्ति के लिए हर चमत्कार का अद्भुत प्रमाण है।

एक कलश से हुई थी शुरुआत
1996 में एक कलश से शुरू हुई यह साधना अब 21 कलशों तक की यात्रा तय कर चुकी है। नागेश्वर बाबा का कहना है कि यह मां दुर्गा का ही आशीर्वाद है कि वे पिछले 28 वर्षों से यह अनुष्ठान बिना किसी अंतिम संस्कार के पूरा कर रहे हैं। कलशों की संख्या इतनी बढ़ गई कि अब मंदिर की छत तक पहुँच गई है। इसलिए 21 कलशों के साथ यह साधना जारी है।

अद्भुत है ये मंदिर
पटना के न्यू सचिवालय परिसर में स्थित नौलखा मंदिर, नवरात्रि के दौरान एक प्रमुख आकर्षण बन जाता है। इस पौराणिक मंदिर में आम भक्तों से लेकर नेता, अधिकारी और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी अपनी मन्नतें लेकर बटालियन हैं। मंदिर के विधान प्रो. विजय यादव ने कहा कि यहां आने वाले भक्तों के लिए विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं, ताकि वे पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ मां की आराधना में लीन रह सकें।

माँ की गजब भक्ति

नाग बाबा की यह साधना भक्तों के लिए किसीश्वर से कम नहीं। हर साल प्रो. विजय यादव स्वयं अपनी जीन्स पर 21 कलश स्थापित करते हैं, और नौ दिन बाद जब बाबा इन होते हैं, तो सामान्य रूप से अपनी उलझन में लौट आते हैं। उनका यह साधना मार्ग भक्ति और गुणों का उदाहरण बन गया है, जो भक्त प्रेरित होते हैं कि जब तक मन में माँ की भक्ति हो, तब तक कोई भी कठिन राह में नहीं आ सकता।

इस मंदिर में नवरात्रि का उत्सव भक्तों के लिए केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि एक गहन आस्था का प्रतीक बन गया है। हर कोने से भक्त यहां मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने आते हैं, और नागेश्वर बाबा की इस अनोखी साधना को देखकर वे अपने विश्वास और आशीर्वाद को और मजबूत करते हैं।

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