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डिजिटल गिरफ्तारी: कौन सी पुलिस, सीबीआई या ईडी के लोग कर सकते हैं डिजिटल गिरफ्तारी? आगरा एसीपी ने बताई सच्चाई

आगरा. आगरा में डिजिटल रेस्टोरेंट के दो मामले सामने आए हैं। दोनों ही केस बेहद गंभीर हैं. पहले केस में आगरा के शाहगंज अलबतिया का है। साइबर ठगों ने माल वर्मा को फोन कर कुछ ऐसा कहा, जिससे वह इस बात से घबरा गईं कि कुछ देर बाद उनकी जान चली गई। दूसरे केश में डिजिटल आर्काइव में बदमाशों ने 2 लाख रुपए ठगे। इसके बाद जब भी कंपनी की डीज़ल बंद नहीं हुई तब महिला को कंपनी का पता चला। इसके बाद स्टोन ने दुकान में रिपोर्ट दर्ज की। यह मामला लोहामंडी थाना क्षेत्र का है।

आज के डिजिटल युग में अपराध के तरीके दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। आज का दौर फोन का है तो साइबर अपराधी इसी माध्यम से लोगों को लूट रहे हैं। देश-विदेश में साइबर अपराध बढ़ रहा है। अब साइबर कमिश्नर ने पैसा लूटने और लोगों को अपने जाल में फंसाने का ऐसा तरीका खोजा है जो कि गंभीर साबित हो रहा है। इस रिपोर्ट में हमने आपको बताया है कि डिजिटल एरेस्ट क्या होते हैं और कैसे प्रमुख प्रतिष्ठित लोग अपने जाल में फंस रहे हैं।

मालती की मौत कैसे हुई?
बबुआ से टीचर्स मालती शाहगंज अलबतिया में रहने वाली थीं और 12 साल से सरकारी कन्या जूनियर हाई स्कूल में पढ़ रही थीं। 30 सितंबर को उनके मोबाइल फोन पर एक सिलिकॉन कॉल आया। आईपी ​​पर एक पुलिस इंस्पेक्टर की फोटो लगी थी। ठग ऐसा करते हैं, जिससे सामने वाले को यकीन हो जाए कि कोई पुलिस वाला है और जो कह रहा है वो सच है। सामने से आवाज आई है कि आपकी बेटी सेक्स रैकेट में फंस गई है। पुलिस ने इस पर पकड़ बना ली है। अभी लिखा-पढ़ी नहीं की गई है. आपका बदनामी होगा इसलिए फोन है. अगर आप चाहते हैं कि बेटी का वीडियो वायरल हो और केस दर्ज हो तो तुरंत एक लाख रुपये भेज दिए, जिससे मालती बुरी तरह घबरा गई और हार्ट अटैक आ गया। अस्पताल ले जाने के समय उनकी मृत्यु हो गई। मालती को 4 घंटे तक डिजिटल पुनर्स्थापना की गई थी।

डिजिटल रेस्टोरेंट क्या है?
एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा के अनुसार डिजिटल अरेस्टर्स के लिए कोई शब्द नहीं है। डिजिटल स्टोर एक तरह का साइबर अपराध है जिसमें अपराधी लोगों को धमकाकर पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। इससे जुड़ी हाल की घटनाओं ने लोगों को काफी परेशान किया है. एचडीएफसी, पीएचडी, पुलिस आपको डिजिटल स्टोर नहीं कर सकती। ऐसे मामलों के लिए आप www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट कर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं

पुलिसवालों की डीपी क्यों हैं खतरनाक?
एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा ने बताया कि डिजिटल स्टोर्स में 4-5 तरीके होते हैं। जैसे, साइबर अपराधी आपको ऑनलाइन कॉल करेंगे। आईपी ​​पर एक पुलिस इंस्पेक्टर की फोटो लगी थी। ठग ऐसा करते हैं, जिससे सामने वाले को यकीन हो जाए कि कोई पुलिस वाला है और जो कह रहा है वो सच है। फिर बोलेंगे कि आपका बेबी रेप केस पकड़ा गया है या फिर आपकी बेटी सेक्स रेप केस पकड़ा गया है। अगर FIR हुई तो बदनामी होगी.

ऐसे ठगते हैं पैसा
एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा ने बताया कि किसी कूरियर का नाम लेकर उसमें गलत सामान आया है। कूरियर में रॉकेट है, जिसकी वजह से आप फंस जाएंगे। या आपके बैंक से इस तरह के ट्रांजेक्शन हुए हैं जो फ़्रॉड है. मनी लॉन्ड्रिंग, एनडी का सबसे बड़ा खतरा अधिकांश लोगों को फंसाया जाता है। अगर लोगों के खाते में पैसे नहीं हैं तो लोन दिलवाया जाता है। कई बार उनके नजदीकी लोन लेने वाले ऐप्स नहीं होते तो उन ऐप्स को भी डाउनलोड किया जाता है। कई बार दो से तीन दिन तक डिजिटल स्टोर रखा जाता है।

यहां करें शिकायत
एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा ने बताया कि अगर किसी के साथ इस तरह की घटना होती है तो वह दो तरीकों से इसकी रिपोर्ट कर सकती हैं। साइबर फ़्रॉड के मोबाइल नंबर या फिर ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसके अलावा, आप स्थानीय पुलिस से भी शिकायत कर सकते हैं। यदि आप पुलिस को एक घंटे की सूचना देते हैं तो दिए गए पैसे वापस मिलने की संभावना बनी रहती है। आप आगरा पुलिस लाइन में बने साइबर थाने में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

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