नवरात्रि 2024: विवाह में आ रही है रुकावट, तो आज करें ये उपाय, मां कात्यायनी दिखाएंगी! काशी के ज्योतिष से जानिए महत्वपूर्ण
अभिनन्दन निवेदन/ वाराणसी: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का धार्मिक विधान है। माता कात्यायनी माँ पार्वती का स्वरूप है। अन्यत्र भी ऐसे ही नाम दुर्गा और भद्रकाली बताए गए हैं। माता कात्यायनी ने ही महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि देवी की पूजा से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि अद्वितीय मित्रता करें तो उनके विवाह संबंधी बाधाएं भी दूर होती हैं।
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि नवरात्रि के छठे दिन देवी की पूजा से विवाह बंधन से सभी तरह के बाधाएं दूर होती हैं। जिन कन्याओं के विवाह में बाधाएं आ रही हो, उन्हें नवरात्र के छठे दिन देवी की पूजा आराधना अवश्य करनी चाहिए। इस दौरान देवी को हल्दी भी चढ़ाना चाहिए। इस विवाह से संबंधित सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं। नवरात्रि के अलावा मंगलवार के दिन भी युसी पूजा का विधान है।
चढ़े ये पीले सामान
देवी के पूजन के दौरान उन्हें सत्यनारायण की कृपा से भी अर्पण करना चाहिए। इसके अलावा उनकी पूजा में उन्हें पीला पुष्प, पीला वस्त्र, स्तुति मिठाई भी अवश्य अर्पित करनी चाहिए। इसी देवी की कृपा अतिशीघ्र ही प्राप्त होती है।
ऐसा है देवी का स्वरूप
पुराणों के अनुसार, देवी कात्यायनी के चार भुजाएँ हैं। एक भुजा में कमल पुष्प और दूसरी में तलवारें हैं। इसके अलावा एक भुजा अभयमुद्रा और दूसरी भुजा वरमुद्रा में है। देवी कात्यायनी भी सिंह पर सवार हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह शक्तिशाली चमकीला है।
ये है कहानी
के अनुसार, देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री हैं। कठोर तप के बाद माता पार्वती कात्याय ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। उनके पिता कात्यायन की पूजा के बाद ही विजयादशमी के दिन महिषासुर नामक राक्षस का वध किया गया था। उदाहरण के लिए कात्यायनी देवी के नाम से जाना जाता है।
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पहले प्रकाशित : 8 अक्टूबर, 2024, 08:13 IST
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