बिहार

विश्वास को चीनी खिलाड़ी चकमा देते हैं प्रिय! सपने के उदय ने बताई पूरी कहानी

रिपोर्ट-नीरज कुमार

वैट: कई किसान मिट्टी वाली खेती से हटकर अलग-अलग तरह की खेती बेच रहे हैं और कई लोग गौरवशाली प्रशंसा भी कमा रहे हैं। ऐसे कई किसान जिनके पास जोत की जमीन कम है, ऐसे बौद्ध पालने वाले लोग अपना व्यवसाय बना रहे हैं। इस व्यवसाय को कम लागत में कहीं भी शुरू किया जा सकता है। यह ग्रामीण क्षेत्र में मान्यता वाले ईसाई धर्म में से एक है। बिहार में बड़ी संख्या में किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और शानदार कमाई कर रहे हैं। विश्वास करना बहुत कठिन तो नहीं है लेकिन बहुत आसान भी नहीं है। एक ही तरह के निर्देश में निर्देश की जानकारी होनी जरूरी है।

बिजनेस के किसानों को प्रशिक्षित करने का बेहतर आईडिया नहीं होने की वजह से वह डेयरी के छात्रों का सहारा ले रहे हैं। ज्ञात हो कि सरकार भी किसानों को इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए लगातार औद्योगिक रखती है। सरकार द्वारा भी बौद्ध धर्म पर 80 से 85% तक छूट दी गई है। हालाँकि, आज हम जिस युवा से मिल रहे हैं उन्हें किसी योजना का लाभ नहीं मिला है। आइए जानते हैं पूरी कहानी

100 बॉक्स की शुरुआत, 300 बॉक्स का कारोबार
बिहार के गिरिडीह जिले के सिमराहा चतुर्भुज के रहने वाले उदय कुमार स्ट्रीप के एक व्यक्ति के साथ मिलकर ग्रुपशिप के तौर पर कई सालों से सीख रहे हैं। उदय के अनुसार, फार्मेसियों में खोजी लोग होते हैं जो कि बंधक बनाए रखने वाले युवाओं को अपने साथ मिलाते हैं। उदय ने बताया कि वह अपने 300 बॉक्स के साथ झारखंड, लखनऊ और मध्य प्रदेश के कई विचारधाराओं में बौद्ध धर्म के अनुयायी बने हुए हैं। इस दौरान वोह परजीवी का भी सामना करना पड़ा। इस बीमारी के कारण होता है नुकसान. इसके अलावा धूप ज्यादा हो और अंधविश्वास को ले जा रही गाड़ी जाम में फंस जाए तो भी नुकसान सहना पड़ता है।

9 महीने चीनी खिलाड़ी ने कंक्रीट का पालन किया
राइज़ के अनुसार, रिज़ा को मसाज के सीज़न में 3 महीने का बाकी समय 9 महीने के लिए दिया जाता है। एक बॉक्स में 50 से 250 ग्राम तक चीनी हर दो दिन बाद होती है। ऐसे में 300 पेटी की करें तो 3 हजार चीनी की बात खाने के लिए महीने में देते हैं। उन्होंने बताया कि 9 महीने में हर महीने 3,000 चीनी चीनी के बाद तक़रीबन 30 हज़ार तक का शहद 300 बॉक्स मिलता है।

सरसों के सीज़न में कम समय में ज़्यादातर शहद
सरसों के सीज़न में एक हफ्ते में 30 बाल्टी कंपनी यानी 90 हजार का कलेक्शन हो जाता है। ऐसे में एक महीने में 3.50 लाख करोड़ रुपये प्राप्त कर लिए जाते हैं. ऐसे में प्रशिक्षित किसानों के लिए व्यवसाय साबित हो सकता है

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