{“_id”:”670bf4c4c1e36cf5510be1d4″,”स्लग”:”पुलिस-हिरासत-वांगचुक-समर्थक-जो-दिल्ली-2024-10-13-लद्दाख-भवन-के बाहर-विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे”,”प्रकार” :”कहानी”,”स्थिति”:”प्रकाशित करें”,”शीर्षक_एचएन”:”दिल्ली: जागरूकता भवन के बाहर धरना दे रहे वांगचुक के खिलाफ पुलिस ने फैसला लिया, धारा 163 पर प्रतिबंध प्रश्न”,”श्रेणी”:{” शीर्षक”:”शहर और राज्य”,”शीर्षक_एचएन”:”शहर और राज्य”,”स्लग”:”शहर-और-राज्य”}}
वांगचुक ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर कहा कि दिल्ली पुलिस ने उनके कई साहस को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि धारा 163 लागू की गयी है। यह बात चौंकाने वाली है कि लोकतंत्र की जननी पर पूरे साल इस तरह का प्रतिबंध लगा रहता है।
दिल्ली पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। – फोटो : अमर उजाला
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दिल्ली पुलिस ने रविवार को गुप्त सूचना भवन के बाहर कई लोगों से पूछताछ की। जहां कृतिक सामीत वांगचुक अविश्वास को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर छह कलाकारों से अचिंत्यकालिक भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहे हैं। एक अचरज के अनुसार, लोगों के लिए डिज़ाइस में मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। पहले पुलिस ने कहा था कि न्याय में लोगों के लिए शहजाद वांगचुक भी शामिल हैं, लेकिन बाद में नई दिल्ली की पुलिस में देवेश महला ने इस तरह का घोटाला कर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने खुफिया भवन के बाहर कुछ छात्रों को हिरासत में लिया है। इनमें सेमसाम वांगचुक शामिल नहीं हैं।
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इस बीच वांगचुक ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर कहा कि दिल्ली पुलिस ने उनके कई इरादों को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि अनाधिकृत सभाओं पर रोक वाली भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 नई दिल्ली में स्थायी रूप से क्यों लागू है। उन्होंने कहा कि यहां कई लोग मौन विरोध प्रदर्शन करने आये थे. यह असल में झूठ है कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। यह विरोधाभासी है क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मौन विरोध प्रदर्शन भी नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि धारा 163 लागू की गयी है। यह बात चौंकाने वाली है कि लोकतंत्र की जननी पर पूरे साल इस तरह का प्रतिबंध लगा रहता है। वांगचुक ने कहा कि यह धारा आम तौर पर अस्थायी रूप से लागू होती है, जब कानून-व्यवस्था के बाधित होने की संभावना होती है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र पर एक धब्बा है। न्यायालय को इसका स्मरण करना चाहिए। ऐसी धाराएँ स्थायी रूप से कैसे स्थापित की जा सकती हैं।