उत्तर प्रदेश

जनता की राय : कागजी कार्रवाई नहीं, गाजियाबाद में लागू हो ऑड-इवान…तभी खत्म हो जाएगा प्रदूषण! जानें लोगों की राय

ग़ाज़िया : दिल्ली- गाजियाबाद में प्रदूषण की समस्या लगातार गंभीर बनी हुई है। गाजियाबाद में वायु प्रदूषण (AQI) कई बार खतरानाक स्तर पर पहुंच गया है। गाजियाबाद पिछले सोमवार को देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर दूसरे नंबर पर रहा। पहले प्रदूषण के कारण ऑफिस और सड़कों पर भी लोग मास्क देखते आ रहे हैं। सोमवार को गाज़ियाबाद का एयर क्वॉलिटी स्टॉक (AQI) 271 दर्ज किया गया, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, गाज़ियाबाद में प्रदूषण बढ़ने वाला ग्रेप-1 लागू किया गया है। आमतौर पर ग्रैप-1 टैब तब लागू होता है, जब शहर का एक्यू 200 के पार पहुंचता है। इस रिपोर्ट में हम स्थानीय निवासियों की राय और उनके साथियों की खोज की कोशिश करते हैं।

शहर के निवासी प्रदूषण प्रदूषण से बेहद चिंतित हैं, खासकर बच्चे और बुजुर्ग इसका प्रभाव लेकर आ रहे हैं। कौशांबी की रहने वाली ममता चौधरी का कहना है कि मेरे बेटे की मौत हो गई है और प्रदूषण के कारण उनकी हालत खराब हो रही है। हमें हर कुछ दिनों में डॉक्टर के पास जाना है। बाहरी तौर पर ही सांस लेने में दिक्कत होती है। “वहीँ, वरिष्ठ नागरिक राकेश त्यागी कहते हैं, “हमारी उम्र के लोग पहले ही ख़राब हो जाते हैं, और इस प्रदूषण के साथ सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।” मेरी पत्नी को फेफड़े की समस्या हो गई है, और वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रदूषण की वजह से हुआ है।

धूल और विस्फोट…रोजमर्रा की चुनौती
ग़ाज़ियाबाद के विभिन्न क्षेत्रों में निर्माण कार्य और औद्योगिक ज़ख़्मों पर काम चल रहा है, सड़कों का कूड़ा-कचरा निकाला जा रहा है। इंदिरापुरम के निवासी रोहित वर्मा का कहना है, ”सड़क पर हर समय कूड़ा उड़ता रहता है। बाइक म्यूजिक टाइम मास्क अब जरूरी हो गया है, नहीं तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि हम गैस चैंबर में रह रहे हैं। इसी तरह की बात है कि घर की दुकानें बंद रखने के बावजूद भी हर सुबह फर्नीचर पर गंदगी की मोटी परत जम जाती है। बच्चे घर में खेल भी नहीं सकते, क्योंकि हर जगह गंदगी ही गंदगी होती है।

प्रशासन में सिर्फ कागजी कदम उठाया जा रहा है
हालांकि प्रशासन ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, गाजियाबाद में प्रदूषण की वजह से ग्रैप-1 लागू किया गया है। आमतौर पर ग्रैप-1 टैब तब लागू होता है, जब शहर का एक्यू 200 के पार पहुंचता है। ग्रैप-1 लागू होने के बाद होटल और रेस्तरां में कोयला और लकड़ी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। साथ ही डीजल इंजन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन जनता का मानना ​​है कि ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं. वसुन्धरा निवासी अजय कुमार कहते हैं, कि “प्रशासन केवल कागजी कदम उठा रहा है।” सब्जियों पर पानी का जादू किया जाता है, लेकिन कुछ ही घंटों में फिर कूड़ा उड़ने लगता है। अगर चयन से काम चला लिया जाए, तो स्थिति इतनी खराब नहीं होती।

गाजियाबाद में लागू हो ऑड-इवान योजना
ग़ाज़ियाबाद के निवासियों को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन जल्द ही इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाएंगे। कुछ लोगों का मानना ​​है कि हरित क्षेत्र का विस्तार, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, और प्रदूषण को कम करने के उपाय जैसे विशेषज्ञों पर कड़ी निगरानी से मदद मिल सकती है। शालीमार गार्डन के निवासी डॉयंटिटी मेहता की सलाह है कि सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली की तरह ऑड-इवान योजना पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा, प्लास्टिसिन फिलामेंट वाली फैक्ट्रियों पर प्लांट से कार्रवाई होनी चाहिए।

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