गुरप्रीत सिंह डेमोक्रेट केसर में अमृतपाल सिंह का हाथ, अर्श डल्ला ने रची प्लॉट, पंजाब न्यूज़
पंजाब पंचायत चुनाव के दौरान 9 अक्टूबर को ब्लैककोट के गांव हरीनौ में पंथक मूर्ति से जुड़े युवक की हत्या के मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इस केस में पंजाब के साम्राज्य गौरव यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलासे किए हैं। अतुल ने खुलासा किया कि पुलिस की विशेष टीम की जांच में इस हत्याकांड में खडूर साहिब से अल्पसंख्यक और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का हाथ होने के सबूत मिले हैं। इस हत्या का मास्टरमाइंड कनाडा में छिपा हुआ आतंकवादी अर्श डल्ला है।
जेल में बंद अमृतपाल से पंजाब पुलिस पूछताछ
पंजाब के बाहुबली गौरव यादव ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि इस मामले में 3 लोगों की धोखाधड़ी हुई है। बाकी गुरप्रीत सिंह की रेकी थी। स्क्रीबों को पकड़ने के लिए यूक्रेन की कंपनी की ओर से मशीनरी चलाई जा रही है। जांच में पता चला कि इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले अमृतपाल सिंह वर्तमान में असम के डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। अतुल ने कहा कि अमृतपाल सिंह से पूछताछ की जाएगी। अतुल यादव ने कहा कि कनाडा में रहने वाले कर्मवीर गोरा और बांसुरी-आतंकवादी अर्शदीप सिंह ने उन चार शायरों के हैंडलर थे, जो गुरप्रीत की हत्या की थी।
पंजाब दे संगठन का खजांची था गुरप्रीत
मृतक 32 साल के गुरप्रीत सिंह को पंजाब दे संगठन का साल 2021 में खजांची बनाया गया। डिपॉज़िट की मौत के बाद वह अमृतपाल के करीब रहे, लेकिन बाद में अलग हो गए। फैजाबाद के गांव हरी नौ में गुरप्रीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गुरप्रीत गांव हरी नौ में पंचायत चुनाव में सरपंच उम्मीदवार के लिए प्रचार किया गया था। जैसे ही वह वहां से वापस आया, तभी बाइक सवार 3 स्क्रीऑन्स ने गोलियों से भूनकर उसकी हत्या कर दी। गुरप्रीत सिंह पिछले कुछ समय से अमृतपाल सिंह और सिख नेताओं के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। उन्हें इसकी वजह से लगातार धमकियां भी मिल रही थीं। पुलिस ने गुरप्रीत सिंह हत्याकांड की जांच के लिए 4 कारीगरों का गठन किया था। जिसमें तीन बोलेरो और एक एसपी शामिल हैं।
पंजाब में सबसे बड़ा बजट से जीत कर अल्पसंख्यक बना था अमृतपाल
एनएसए के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक और वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह ने पंजाब खडूर साहिब की जेल में रहकर एक लाख 97 हजार 120 रुपये की जीत दर्ज की थी। यह पंजाब की सबसे बड़ी जीत थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मदीवार कुलबीर सिंह जीरा को हराया था। अमृतपाल सिंह ने 5 जुलाई को न्यूमिन के रूप में शपथ ग्रहण की थी। उसे विशेष विमान नई दिल्ली से लाया गया था। शपथ ग्रहण करने के लिए अमृतपाल को कुछ दिन की पेरोल दी गई थी।