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आंखों के लिए लाभकारी है बागपत का 80 साल पुराना यह सुरमा, सरकार से मिली है मान्यता

रिपोर्ट- आशीष त्यागी

बागपत. उत्तर प्रदेश के बागपत में पिछले 80 वर्षों से एक ऐसा चमत्कारी सुरमा तैयार हो रहा है, जिससे आंखों का संपूर्ण इलाज संभव होता है. लाल रामचंद्र जैन ने इसकी शुरुआत 80 वर्ष पूर्व की थी और तब इसकी कीमत मात्र 50 पैसे हुआ करती थी और आज इसको लोग काफी पसंद करते हैं और इसका रेट ₹20 होता है. यह आंखों की संपूर्ण बीमारियों में बहुत ही कारगर सिद्ध होता है और सरकार से इसे मान्यता भी मिल चुकी है.

खेकड़ा कस्बे के रहने वाले लाल रामचंद्र जैन ने 80 वर्ष पूर्व नेत्र रोगियों की भलाई के लिए सुरमा बनाना प्रारंभ किया था. इस सुरमे को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनाया जाता है. इसकी एक शीशी की कीमत मात्र ₹20 होती है. यह देश के प्रत्येक कोने में बेचा जाता है. रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, बस स्टैंड और अन्य महत्वपूर्ण जगह पर इसकी बिक्री होती है. सरकार से इस सुरमे को मान्यता भी मिली है.

लाल रामचंद्र जैन द्वारा तैयार किए गए सूरमे से आज के समय में सैकड़ो लोगों को रोजगार मिलता है. रामचंद्र जैन के पुत्र सुंदर ने बताया कि उसके बाबा जी ने सुरमे की शुरुआत की और इस सुरमे को आज के समय में देश के कोने-कोने बड़े शहरों में बेचा जाता है. इसकी कीमत मात्र ₹20 होती है.

रामचंद्र जैन के पुत्र ने बताया कि इसे आंखों में इस्तेमाल करने से चौंकाने वाले फायदे होते हैं. यह आंखों की संपूर्ण बीमारी के लिए फायदेमंद है और सरकार द्वारा इसे मान्यता भी दी गई है. इसका इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति कर सकता है. इसके इस्तेमाल से आंखें बिल्कुल स्वस्थ हो जाती हैं. उनका परिवार तीन पीढियों से सुरमे को बनाने और बेचने का काम कर रहा है. उनके दादाजी का लोगों की आंखों को स्वस्थ रखने का देखा गया सपना उनका पोता सुंदर आज पूरा कर रहा है और आगे भी इस सुरमे को निरंतर चलाया जाएगा और नेत्र रोगियों को लाभ पहुंचाया जाएगा.

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