मुर्ग़ा के टीचर्स को हाई कोर्ट ने तलब किया, हैरान कर देगा ये मामला, जानिए विस्तार से
अंत. इलाहबाद हाई कोर्ट ने ग़ाज़ियाबाद के शेयरधारकों की तस्वीरें खींची हैं। गुरुवार 24 अक्टूबर को म्यूजियम ने ड्यूक कोर्ट को तलब कर लिया है। कोर्ट ने सुबह 10 बजे ही कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से सभी रिकॉर्ड के साथ सुनवाई पक्ष रखने को कहा है। हाई कोर्ट ने एक कंपनी को स्टैम्प डूटी के संबंध में एक नोटिस जारी किया है, जिसे लेकर मकाक गाज़ियाबाद को तलब किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि अगर सुबह 10 बजे कोर्ट में शिक्षकों की पेशी नहीं हुई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था
अल्लाहाबाद हाई कोर्ट डिवीजन बेंच के ऑर्डर के बाकी नीलामी में मिल प्रॉपर्टी पर स्टूडेंट ने स्टैम्प ड्यूटी पर जाने को लेकर नोटिस जारी किया है। एसआरएसडी बिल्डरकॉन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड इंटरनेशनल शेयरहोल्डर कंपनी ने गाजियाबाद की एक संपत्ति की नीलामी में 201 करोड़ रुपये की कमाई की थी। नियमों के अनुसार बिना स्टाम्प ड्यूटी के यह संपत्ति नीलामी हासिल करने वाली कंपनी का नाम दर्ज होना चाहिए था। रिफैक्टॉफ़ ने सात फ़ीसदी स्टाम्प की ड्यूटी के तौर पर 14 करोड़ रुपये की देनदारी पर ही प्रॉपर्टी में एंट्री की बात कही तो कंपनी ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। जिसके बाद उच्च न्यायालय के डिवीजन बेंच ने 2 जुलाई को आदेश दिया था कि नीलामी में मिली अचल संपत्ति को रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए कोई स्टाम्प ड्यूटी शामिल नहीं है।
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ग़ाज़ियाबाद के शिक्षकों ने कंपनी को जारी की अधिसूचना
उच्च न्यायालय के इस आदेश के अनुसार स्केट ने कंपनी का नाम रिकॉर्ड में दर्ज किया। रिकॉर्ड में नाम दर्ज के बावजूद गाजियाबाद के मास्टर ने कंपनी को नोटिस जारी कर स्टांप होने की बात कही है, जिसमें कथित तौर पर 14 करोड़ रुपए जमा होने की बात कही गई है। कंपनी ने यह नोटिस इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस पीयूष अग्रवाल के सिंगल बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए इसे उच्च न्यायालय और खिलाड़ियों के खिलाड़ियों पर सही ठहराया है। कोर्ट ने इस मामले में शिक्षकों को तलब करते हुए सुबह ही कोर्ट में पेश होने की बात कही है।
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कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो कोर्ट के सुप्रीमेसी को खत्म कर दिया जाएगा
इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी भी की थी। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर उच्च न्यायालय के आदेश के तहत बहाल किए गए शिक्षकों ने इस तरह का काम किया तो दोषी से आम इंसान का विश्वास खत्म हो जाएगा। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अगर ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो कोर्ट के सुप्रीमेसी को खत्म कर दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि गाजियाबाद के वकीलों को हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नोटिस जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।
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पहले प्रकाशित : 24 अक्टूबर, 2024, 24:00 IST