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शुद्ध हवा न मिलना मौलिक हक का हनन, सुप्रीम कोर्ट की वायु प्रदूषण पर केंद्र से राज्यों तक सबको फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में तेजी से खराब होती वायु गुणवत्ता पर नियंत्रण करने में विफल रहने पर बुधवार को नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, शुद्ध हवा न मिलना लोगों के प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के मौलिक अधिकार का हनन है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में तेजी से खराब होती वायु गुणवत्ता पर नियंत्रण करने में विफल रहने पर बुधवार को नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, शुद्ध हवा न मिलना लोगों के प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के मौलिक अधिकार का हनन है।

जस्टिस अभय एस. ओका, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह एवं ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्यों को याद दिलाने का वक्त आ गया है कि अनुच्छेद-21 के तहत लोगों को प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का मौलिक अधिकार है।

जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा कि सरकार को जवाब देना होगा कि वे लोगों के प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने के अधिकार की रक्षा कैसे करेंगे। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा पराली जलाने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने में विफल रहने पर फटकार लगाते हुए यह टिप्पणी की। बेंच ने पराली जलाने वालों पर नाममात्र की कार्रवाई पर नाराजगी जताई।

नोटिस भेजे गए

एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। बेंच ने कहा कि कानून आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देता है, फिर भी आप केवल नोटिस जारी कर रहे हैं।

सरकार की सुप्रीम कोर्ट ने खिंचाई की

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम को संशोधनों के जरिये दंतहीन बनाए जाने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की संशोधित धारा-15 बेकार यानी ‘दंतहीन’ हो गई है। अधिकारियों के पास प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए कुछ भी नहीं है, तभी तो कोई कानून नहीं मान रहा।

कार्रवाई करने के लिए अधिकारी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस ओका ने कहा कि हम कार्रवाई करेंगे क्योंकि उनका कहना है कि दंड का प्रावधान करने वाली ईपीए की धारा-15 में संशोधन किया गया है। आपके पास इसे लागू करने के लिए निर्णायक अधिकारी नहीं है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 को बिना दांतों वाला बना दिया गया है। उन्होंने केंद्र से कहा कि आपने निर्णायक अधिकारी होने से पहले ही संशोधन कर दिया है। धारा 15 केवल 1986 अधिनियम को लागू करने का प्रावधान था। संशोधन ने अधिनियम 1986 को दंतहीन बना दिया है। इस दौरान पिछले आदेश के पालन में हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिव अदालत में मौजूद थे। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी उपस्थित हुईं।

‘आदेशों की नियमित अवहेलना हो रही तो तुरंत मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया’

जस्टिस ओका : अब बताओ आपने क्या कार्रवाई की?

एएसजी भाटी : हमने अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

जस्टिस ओका : आदेशों की नियमित और पूर्ण अवहेलना हो रही है तो आपने तुरंत मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया। आप भी हमारे आदेशों को हल्के में ले रहे हैं। क्या धारा-14 में ऐसे कारण बताओ नोटिस जारी करने का प्रावधान है?

एएसजी भाटी : ‘नहीं’

जस्टिस अमानुल्लाह : नियुक्त होने के बाद अधिकारियों ने क्या किया है? पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में उन्होंने क्या कदम उठाए हैं।

वरिष्ठ वकील सिंघवी : मैं इन सभी 9000 कार्यकर्ताओं का शपथ पत्र लगाऊंगा।

जस्टिस अमानुल्लाह : आपके 9000 शपथपत्र में अधिकारियों ने केवल नौ उल्लंघन पाए हैं? बहुत खूब।

जस्टिस अमानुल्लाह : राज्य के किस जिले के सबसे ज्यादा उल्लंघन कहां है?

एएसजी भाटी : पंजाब में जिले के हिसाब से सबसे ज्यादा उल्लंघन अमृतसर में है।

जस्टिस अमानुल्लाह : यह रिपोर्ट गलत है।

एएसजी भाटी : इसकी हम जांच करेंगे।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी : हमने आदेश का पालन किया है।

जस्टिस ओका : मिस्टर सिंघवी हमें कुछ भी कहने को मजबूर न करें। हम जानते हैं कि किस प्रावधान के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

जस्टिस ओका : पंजाब के मुख्य सचिव से कहा आपको जवाब देना होगा कि आपने पंजाब के महाधिवक्ता को गलत बयान क्यों दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी : हस्तक्षेप करते हुए कुछ बताने का प्रयास किया।

जस्टिस ओका : आप किसी का बचाव नहीं करें। सवालों का सीधा जवाब दीजिए।

वरिष्ठ वकील सिंघवी : करीब 44 मुकदमे दर्ज हुए हैं।

जस्टिस ओका : क्या आप निश्चित हैं? क्या हमें रिकॉर्ड मंगाना चाहिए?

वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी : मुख्य सचिव कोर्ट के बाहर जाकर रिकॉर्ड की जांच करना चाहते हैं। उनके अनुसार इस साल यह आंकड़ा 44 है। इसमें 5 मुकदमे हैं।

गैस चैंबर बन जाएगी दिल्ली

इस मामले में नियुक्त न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि हम पिछले कुछ सालों से यही सुन रहे हैं कि कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा है। दीवाली और उसके बाद दिल्ली गैस चैंबर बन जाएगी।

हरियाणा में पराली जलाने के मामले घटे, अदालत ने कहा, सब बेबुनियाद

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव से भी इस बारे में सवाल किया। हरियाणा के मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हम हर उल्लंघन होने पर एफआईआर दर्ज करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने पराली जलाने की घटना को 10 हजार घटाकर 400 पर ला दिया है। इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि यह सब बेबुनियाद है, क्या आपके द्वारा कोई नीति बनाई है? कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है और कुछ पर केवल जुर्माना लगाया जाता है? इस पर हरियाणा के मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसा नहीं है, ऐसे लोग हैं जहां बार-बार अपराध होता है। केस घटाने की हरियाणा के मुख्य सचिव की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम संख्या का मतलब है कि आप इसे रिकॉर्ड नहीं कर रहे हैं। यहां तक आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, 10 हजार से 400 तक कैसे जा सकता है?

अदालत की सख्त टिप्पणी

● ऐसा लगता है कि सरकार ने लोगों को आदेशों का उल्लंघन करने का लाइसेंस दे दिया है

● पंजाब-हरियाणा सरकारें आदेश लागू करने में रुचि रखती तो एकाध मुकदमा दर्ज हुआ होता

● दोनों ही राज्यों में अधिकारियों द्वारा की गई विशिष्ट कार्रवाइयों का कोई उल्लेख नहीं है

● केवल कुछ लोगों पर एफआईआर एवं अधिकांश पर मामूली जुर्माना

देश में सबसे खराब हवा दिल्ली में रही

देश में बुधवार को सबसे खराब हवा दिल्ली में रही। सुबह और शाम को धुंध की परत छाई रहने से वायु गुणवत्ता और खराब हो गई। बुधवार को देश में सर्वाधिक एक्यूआई दिल्ली (364 ) में दर्ज किया गया। इसके बाद राजस्थान के दौसा में 316 और गाजियाबाद में 305 रहा।

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