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…तो सुधार करने जा रही है सुधार? बुद्ध यादव ने किया बड़ा ‘मुसलमान’, शामिल होंगे बड़े मुस्लिम चेहरे!

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राजद में शामिल हो सकते हैं मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब.मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के बाद परिवार के राजदरबार से दूरियाँ।

पटना. बिहार विधानसभा के लिए आगामी 13 नवंबर को मतदान होगा। यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले इसे माना जा रहा है। यानी इस चुनाव में फ़्लोरिडा का अच्छा प्रदर्शन होगा, वह एलायंस या दल फ़्रंट हौसलों के साथ आगामी विधानसभा चुनाव की लड़ाई लड़ेगा। वहीं, इस विधानसभा के बीच कई तरह के राजनीतिक खुलासे- खण्ड और बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जहां प्रशांत किशोर के जन सूरज ने सक्रिय राजनीति में एंट्री कर ली, वहीं प्रशांत किशोर ने भी अपनी ‘भूल सुधार’ की शुरुआत कर दी है। गॉडफादर से खबर है कि सिवान के पूर्व अल्पसंख्यक मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहब को बदनाम करने वाले हैं। आज आधिकारिक तौर पर ओसामा साहब के मठ के अवशेष ले लिए गए। बताया जा रहा है कि ओसामा के जम्मू कश्मीर में रहने वाले युवा यादव स्वयं वहां मौजूद हैं और इसके बाद वह धार्मिक समुदाय प्रसाद यादव से भी मिल सकते हैं।

कहा जा रहा है कि लंबे समय से वंचित शहाबुद्दीन के परिवार ने राजद से दूरी बना ली थी। लेकिन, प्रमाणित से खबर है कि विश्वासपात्र प्रसाद यादव सक्रिय हैं और अब दिवंगत मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा साहब की हाजिरी लगाते जा रहे हैं। इसे राजदत के मुस्लिम वोट बैंक की स्मारक से जोड़ा जा रहा है। बता दें कि सिवान के पूर्व मोहम्मद मोहम्मद शहाबुद्दीन के देशांत के 3 साल बाद गुजरात चले गए, लेकिन इस बीच शहाबुद्दीन के परिवार और राजद के बीच दूरियां बनी रहीं।

अफानसी से शहाबुद्दीन के परिवार की दूरी
मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी गोविंदा साहब के नोकझोंक चुनाव के बाद राजद से इस परिवार की दूरी भी साफ तौर पर तय हुई। हालांकि, बीच-बीच में विश्वनाथ शहाब को राष्ट्रीय जनता दल से लेकर उपनिवेश की चर्चा जोर पकड़ती रही, लेकिन जब भी समुद्रतट-समुद्र तट की बात सामने आई तो विश्वनाथ साहब की जगह राजद ने बुजुर्ग यादव के करीबी संजय यादव को तरजीह दी। राजनीति के जानकार कहते हैं कि शहाबुद्दीन का परिवार खफ़ा था।

पीके की सक्रिय अकादमी से प्रशिक्षण में शामिल
हालाँकि, राजनीति में प्रशांत किशोर की जन सूरज पार्टी की सक्रिय राजनीति में प्रवेश ने राजद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खास तौर पर जन सूरज मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत किया जा रहा है ऐसे में राजद ने भी भूल सुधार का मन बना लिया है। इसका कारण यह भी है कि समुद्र तटीय क्षेत्र में और मुस्लिम बाहुल्य आद्योपांत में असदुद्दीन ओसामी गुट ने राजदंड नेताओं के मठों पर चिंता की रूढ़ियाँ पैदा कर दी हैं।

मुस्लिम वोट बैंक को लेकर सक्रिय हुआ लैपटॉप
राजनीति के विश्लेषकों का कहना है कि ओसामा साहब के राजदरबार में ऐसे समय हो रहा है जब मुस्लिम सोला के बराकाव का सबसे ज्यादा खतरा दिख रहा है। यही कारण है कि उस समय सोशल एक्टिविस्ट हो गया था और वह अपने मुस्लिमों को एकजुट करने के लिए संस्थान में लग गया था। हाल में गिरिराज सिंह की हिंदू रूम यात्रा का जिस तरह से मुख्‍य विरोध किया गया, उसमें तेजस्वी यादव ने भी यही राजनीति का फलाफल माना जा रहा है.

बचपन को सबक तो मासूम को मिली सीख!
बता दें कि 3 साल में ओसामा साहब भी कुछ न कुछ मस्जिद में हिस्सेदारी कर रहे हैं, शायद यही वजह रही कि राजद ने अपनी दूरी बनाए रखी। इस बीच दलित साहब ने राजद जॉइन से भी इनकार कर दिया और आम चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। हालाँकि, उनकी हार हो गई और शायद उन्होंने यह सबक भी लिया कि उनकी सेना भी राजद के साथ आने से बची रहेगी कि अलग नहीं होगी।

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