खेती के टिप्स: खेती में एक बार डाल लें ये खाद, लहलहा उठेगी खेती, बढ़ेगी कमाई
जहानाबाद : रबी सीजन में तरह-तरह की दवाइयां उपलब्ध होती हैं। ऐसे में फर्टिलाइजर के लिए किसी भी उपचार के सही और समग्र विकास के लिए सबसे अहम कड़ी होती है। दवाइयों में फर्टिलाइजर पोषक तत्व का काम होता है और फसल के हर चरण के विकास के लिए भी बहुत जरूरी है। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि किस तरह के खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें, जिससे लाभकारी लाभ मिलेगा। इसे लेकर कृषि विज्ञान केंद्र गंधारा के संबंध में वैज्ञानिक रिया कुमारी से स्थानीय 18 की टीम ने खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कई जरूरी सलाह दी. जानिए उन्होंने क्या कहा?
ऐसे तैयार होती है देसी खाद
सिद्धांत के अनुसार, हर सब्जी को उगाने के लिए खाद अहम हो जाती है। इस तरह का दस्तावेज़ीकरण और समाज विकास होता है। सबसे उपयुक्त खाद, देसी खाद और केचुआ खाद बनाने के लिए, जिसे हम गोबर और अपने फ़ासल मूल का उपयोग करके तैयार करते हैं। ऐसे में आज यह जानना जरूरी है कि वर्मी कम्पोस्ट और देसी खाद का उत्पादन कैसे किया जाता है? वर्मी कम्पोस्ट और देसी खाद बनाने के लिए गोबर और सब्जियों के मसाले का उपयोग किया जाता है। दोनों को हमलोग कुछ दिन अनफिट के लिए रखते हैं। ताकि पार्टिकल डीकंपोज हो सके और उनकी वेबसाइट कुछ कम हो सके।
देसी खाद का तरीका कैसे जानें
बॉट ने बताया कि इसके बाद हम लोग ऐसे करते हैं कि दोनों के मिश्रण को पीट में डाल देते हैं और कुछ केंचुआ भी साथ हो जाते हैं। ये खाद 30 से 45 दिन में तैयार हो जाती है. ये जब खाद बनता है तो काफी क्वालिटी वाला होता है. इसे बनाने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना है। इसे शेड के अंदर रखा जाता है। इस पर सूर्य का प्रकाश सीधा नहीं होना चाहिए। वर्षा जल इसपर सीधा नहीं होना चाहिए। इस दरमियान की प्रयोगशाला में लगातार जांच होती रहती है। अगर इसमें जापानी मूल की मात्रा थोड़ी भी कम लगे तो हमें स्प्रिंकलर का प्रयोग करना होता है, जो कि “साहित्य” है।
देसी खाद में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं
अर्थशास्त्री के अनुसार, यह खाद में केंचुआ आपके शरीर के 10 गुना अधिक वेस्ट उद्यम डिकंपोज द्वारा खाद तैयार करता है। केंचुआ खादीमा के लिए बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह गुणवत्तापूर्ण खाद होती है। असंतुलित कार्बन, मायरिक एसिड, कोलेस्ट्रॉल हार्मोन और अन्य पोषक तत्त्व जैसे कि ज़ास्टर, क्रिस्चियन, आयरन, सैलून, बोरॉन ये सभी मात्राएँ इसमें पाई जाती हैं, जो कि मात्रा में लेप के लिए काफी चमत्कारी होती हैं।
इन गोदामों का मुख्य कारण रासायनिक खाद का उपयोग है
उन्होंने कहा कि हम लोग कॉन्स्टेंसी हल्दी अस्थिरता के बारे में बताते हैं जैसे कि कैंसर, अस्थमा या अन्य बीमारी। इनमें से सभी मुख्य कारण जो हमलोग पेस्टीसाइड्स, केमिकल खाद, बीडीसाइड्स इन सभी में शामिल हैं, इनका उपयोग हमारे भोजन के साथ-साथ शरीर के अंदर भी होता है। इस दौरान लगातार डिपाइजेशन होता रहता है। इससे उसका निर्माण होता है जिससे हमारे शरीर में वृद्धि होती है। जो टूटने का मुख्य कारण बनता है। ऐसे में इन सबका प्रभाव कम करना है तो हमें जैव विविधताओं, केंचुआ खाद और देसी खाद की ओर रुख करना होगा। इससे हमारा शरीर स्वस्थ्य रहेगा, पर्यावरणवास्ता नहीं रहेगा और मिट्टी भी ही बनी रहेगी। रोबोट का उत्पादन भी होगा।
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पहले प्रकाशित : 27 अक्टूबर, 2024, 23:42 IST