बिहार

नौकरी नहीं लगी तो पिता के साथ शुरू की सब्जी की खेती, 2 छुट्टियों में कर रहे सिर्फ बैंगन की खेती

4 जिले में किसानों के लिए सब्जी की खेती का विकल्प तलाशा जा रहा है। कम लागत में अधिक लागे की वजह से किसान अब पारंपरिक खेती छोड़ सब्जी और फूलों की खेती करने लगे हैं। जिले के कुटुंबा क्षेत्र के अंबा चिल्की बिगहा गांव के किसान बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती कर रहे हैं। युवा किसान रवि की रिपोर्ट पिछले 10 वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं जिसमें बागान की खेती बड़े पैमाने पर होती है।

2 बगीचे की खेती में आराम
युवा किसान रवि मेहता ने बताया कि अंबा में बागन की खेती 5 साल से ज्यादा होती है। वहीं 2 बेहतरीन में वो खुद बाग की खेती करते हैं। किसान ने बताया कि दोमट मिट्टी में सब्जी की उपज अच्छी होती है, इसी वजह से यहां सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर होती है। किसान ने बताया कि बैंगन की खेती जुलाई से अगस्त में होती है जहां 40-45 दिनों में बैगन तैयार हो जाता है। अगर फसल अच्छी हुई तो प्रति सेकंड 200 सौ शोरूम से अधिक की उपज होती है। वहीं इस खेती में भी नुकसान का डर बना हुआ है। किसान ने बताया कि बागन में कीड़ा लीज की वजह से फसल का नुकसान होता है ऐसे में उसके बचाव के लिए नीम की खली, पोटास, खाद डाली जाती है।

नौकरी नहीं लगी तो बना किसान
युवा किसान ने बताया कि मैंने ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद कई कंपनियों में भाग लिया लेकिन नौकरी नहीं लगी जिसके बाद बढ़ते जिम्मेवारियों ने घर पर ही कुछ करने को प्रेरित किया। युवा किसान रवि बताते हैं कि उनके पिता आलोक पिछले 27 साल से सब्जी की खेती कर रहे हैं। पिता के प्रोडक्शन के बाद मैं इसकी जिम्मेवारी ले गया और अब मेरे पिता ने सब्ज़ी की खेती की और उसका प्रोडक्शन से घर ले लिया।

कोल्डस्टोरेज की कमी से लाखों का नुकसान
बता दें कि किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर सब्जी की खरीद के लिए पटना और झारखंड से बड़े पैमाने पर कारोबार किया जाता है। अंबा का सब्जी भंडार, रोहतास, पटना, हरिहरगंज, डाल्टनगंज समेत गढ़वा तक के मजदूरों का कहना है, वहीं अंबा में कोल्ड स्टोरेज नहीं होने की वजह से किसानों को होने वाली परेशानी का भी जिक्र है। किसान ने कहा कि अगर यहां कोल्डस्टोरेज होता है तो यहां 50 से ज्यादा गांव के बच्चों और किसानों को नौकरी के लिए दर दर भटकने की जरूरत नहीं है।

टैग: बिहार समाचार, स्थानीय18

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