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जानिए-राजा-कर्ण-की-छठनगरी-कहा जाता है यह ऐतिहासिक स्थान- News18 हिंदी

देहा. मध्य प्रदेश के मधेपुर जिले में स्थित बाबा छठेश्वर नाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व एक बार फिर चर्चा में है। मंदिर और इसके आसपास स्थित कर्णसार तालाब 400 वर्ष से भी अधिक समय से छठ पूजा के केंद्र के रूप में जाना जाता है। सिद्धांत है कि इस स्थल की स्थापना महाभारत काल में राजा कर्ण ने छठ पर की थी और वहां भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया था।

400 वर्ष से भी अधिक पुराना कर्णसार तालाब
स्थानीय पंडित राधाव बाबा के अनुसार, यह मंदिर और तालाब राजा कर्ण ने बनाए थे। उनका मानना ​​है कि महाभारतकालीन यह स्थल धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। तालाब का नाम कर्णसार पोखरा रखा गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह तालाब कैसा बना। हालाँकि, इतिहासकारों और स्थानीय लोगों के अनुसार, कर्णसार तालाब 400 वर्ष से भी अधिक पुराना हो सकता है।

सीधे तौर पर राजा कर्ण से संबंध है
स्थानीय निवासी ज्योति झा का कथन है कि महाभारत काल में इस क्षेत्र में राजा कर्ण का आगमन हुआ था, इसका प्रबल प्रमाण है। उनके अनुसार, राजा कर्ण के साथ इस क्षेत्र का गहरा संबंध था और यह स्थान राजा कर्ण के ‘धीरज’ के रूप में माना जाता था। ऐसा भी माना जाता है कि मधेपुर खंड में स्थित कर्णसार तालाब और बाबा छठेश्वर नाथ मंदिर का भी सीधा संबंध राजा कर्ण से है।

पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया गया
400 वर्षों से इस स्थान पर छठ पूजा का आयोजन होता रहा है और यहां के घाटों पर साक्षात भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। यह परंपरा आज भी कलाकार है और हर साल हजारों की संख्या में इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेते हैं। मिथिला के सांस्कृतिक स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों की समृद्धि को देखते हुए स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार इस स्तंभ को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए। इस क्षेत्र को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाए, जिससे मिथिला के खड़िया और संस्कृति को दुनिया भर में पहचान मिल सके।

समृद्ध इतिहास से हो सकता है साधारण
इस ऐतिहासिक स्थान की पहचान और महत्व को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को चाहिए कि वह इस क्षेत्र को पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण का केंद्र बनाए, ताकि इस समृद्ध इतिहास वाली पीठों में भी प्रवेश किया जा सके।

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