दिल्ली

दहेज न देने के मामले में अदालत ने आदमी की याचिका खारिज की – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव

दहेज न देने के मामले में कोर्ट ने पुरुष की याचिका खारिज कर दी

बिना दिया डेकोर
– फोटो : freepik.com

विस्तार


एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के परिवार के खिलाफ बिना आपराधिक कार्रवाई की मांग करते हुए एक दस्तावेज तैयार किया था। कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। वकीलों के असफल होने की वजह से विशेष अदालत में याचिका दायर की गई।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नवजीत बुद्धिराजा एक मजिस्ट्रेट के जुलाई 2022 के आदेश के खिलाफ व्यक्ति की गिरफ्तारी पर सुनवाई कर रहे थे। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसके वकील के सास-ससुर और साले के खिलाफ याचिका दर्ज करने के लिए एसोसिएटेड (व्यक्ति के) वकील को खारिज कर दिया था। रिकॉर्ड में यह भी पता चला कि उस व्यक्ति की पत्नी के परिवार द्वारा रिश्ते का मामला चल रहा था।

अदालत ने कहा, “जब तक स्थैतिक के दौरान सबूतों के आधार पर सबूत पेश नहीं किए गए, शराब की मांग की गई थी या नहीं, इस सिद्धांत पर प्रभावी अचूक निर्णय नहीं लिया जा सकता है। संशोधनवादी (कुमार) का दावा है कि उन्होंने कभी भी ऐसा नहीं किया है।” किसी भी शिकारी की मांग नहीं की गई थी। इसके बाद उनके हिट को पूरा करने का दावा किया जाएगा।

पांच तीर्थयात्रियों को एक आदेश में न्यायाधीश बुद्धिजी ने कहा कि पांच तीर्थयात्रियों ने पहले ही दीक्षांत की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा एक वैध महिला के साथ सिद्धांत करना) के तहत अपनी गिरफ्तारी दर्ज की थी। अदालत ने मजिस्ट्रेट की आज्ञा के संबंध में एक व्यक्ति की याचिका में कहा कि मुस्लिमों ने समय को स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने कुमार को छोड़ दिया था और ऐसी स्वीकृति शराबबंदी अधिनियम के तहत अपराध है।

अधिनियम की धारा 3 में शराब लेने या देने पर दंड का प्रावधान है। कोर्ट ने आगे मजिस्ट्रेट की टिप्पणी में कहा कि कुमार ने यह तथ्य छुपाया था कि उनकी पत्नी और बिक्रमियर्स ने उनके खिलाफ “लगातार शराबियों की मांग के गंभीर आरोप” लगाए थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *