यूनिवर्स: जानिए क्यों मनाया जाता है सामा-चकेवा का पर्व, द्वापर युग से जुड़ी है कहानी
भरत वुमेन्ट/अंग्रेज़ी: जिले में लोक आस्था और भाई-बहन के पवित्र उत्सव का प्रतीक, सामा-चकेवा, धूमधाम से मनाया जा रहा है। छठ पर्व के समापन के साथ ही इस पारंपरिक पर्व का शुभारंभ होता है। महिलाएँ और लड़कियाँ इस अवसर पर मिट्टी की प्रतिमाएँ माँगती हैं सामा, चकेवा, चुगला, सतभैया, वृन्दावन और कुछ विशेष पक्षियों की प्रतिमाओं के माध्यम से अपनी आस्था प्रकट करती हैं।
पौराणिक कथा से लेकर तीर्थस्थल तक का महत्व
सामा-चकेवा पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पुत्री सामा की कथा से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी चुगले ने सामा पर विवादित आरोप लगाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को अपमानित कर दिया, इसी कारण से टूटे हुए ज्ञान में श्रीकृष्ण ने अपनी पुत्री सामा को पक्षी बन का श्राप दे दिया। अपने भाई चकेवा के त्याग और प्रेम के बल पर सामा को श्राप से मुक्ति मिली। इस कथा की याद में हर साल भाई-बहन का पवित्र रिश्ता इस पर्व के रूप में मनाया जाता है।
चुगले का अंतिम प्राणी परंपरा का निर्वाह
पर्व की परंपरा में चुगले का अंतिम संस्कार उसकी चोंच में आग लगाकर उसे जूते से पीटने का रिवाज है, जो उस अपमानजनक प्रतीक के रूप में किया जाता है। इस अवसर पर बहनें अपने भाई को धान की नई फसल के चूड़े, दही और लोधी का प्रसाद प्रदान करती हैं। मिट्टी के हंडियानुमा सेखरी में चूड़ा, मूढ़ी और मछुआरे सामा-चकेवा पर्व के अंतिम दिन भाई को पांच मूढ़ी चूड़ा, मूढ़ी और मछुआरे की मूर्ति बनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 15 नवम्बर को समाप्त होगा।
मिथिला में विशेष महत्व, मिट्टी की मूर्तियों की धूम
संस्था के प्रतिष्ठान में कुम्हार समाज के लोग सामा-चकेवा की मिट्टी की प्रतिमाएं बना रहे हैं, जिसमें लोगों के लिए कमजोरी भी शामिल है। पद्म पुराण में इसका वर्णन लोकपर्व, मिथिला की संस्कृति और भाई-बहन के संबंधों का प्रतीक है। पर्व में बहनें पारंपरिक गीत गाती हैं और भाई के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। पिछले दिन, कार्तिक पूर्णिमा को सामा-चकेवा की सजा सुनाई गई, डोकलाम को तालाब या के घाटों तक ले जाया गया और पारंपरिक अवशेषों के साथ विसर्जन किया गया।
भाई-बहन के बीच का जश्न, सात दिनों तक चलने वाला त्योहार
सात दिनों तक चलने वाले इस पर्व में बहनें अपने साथियों की खुशहाल जीवन की मंगल कामना करती हैं। भाई-बहन के अटूट प्रेम की यादों वाला यह पर्व रक्षाबंधन में खास उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
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पहले प्रकाशित : 10 नवंबर, 2024, 18:02 IST