बिहार

इस गांव के 15 एकड़ में बनी बागान की खेती, 10 लाख से ज्यादा कमाई

अधिकार : मान्यता की मिट्टी में बलुई दोमट मिट्टी होने की वजह से यहां के किसानों द्वारा सब्जी का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। क्रीड़ा जिले के ओबरा खंड के शंकरपुर गांव के किसानों ने सब्जी की खेती को ही अपना आय का साधन बनाया है। पारंपरिक खेती को छोड़ दें सब्जी की खेती से लेकर यहां के किसानों की ओर से करोड़ों रुपये की कमाई की जाती है।

पारंपरिक खेती छोड़ सब्जी उत्पादन शुरू किया
शंकरपुर गांव के किसान रामचन्द्र मेहता ने बताया कि यहां 20 साल पहले तक पारंपरिक खेती होती थी, जिसमें धान प्रमुख है। ओबरा को धान का कटोरा भी कहा जाता है. सोन नदी से जुड़े की वजह से ओबरा का विवरण और होनेनगर के किसान बड़े पैमाने पर पारंपरिक खेती के बर्तनों की उपज करते हैं। किसान ने बताया कि धान के खेतों में रेट नहीं मिलने की वजह से किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था, जिसमें किसानों को अधिक मेहनत करनी पड़ी थी।

80- 90 दिन में तैयार हो जाएगा पूसा हाइब्रिड -6
किसान ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा यहां कई किसानों को सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। सबसे पहले यहां खेती की शुरुआत हुई थी, जिसमें सबसे ज्यादा शामिल थे, फिर से शुरू हुआ, सब्जी उत्पादन का काम शुरू हुआ। बता दें कि यहां के किसान पूसा हाइब्रिड -6 बैगन की खेती करते हैं, जिसे तैयार होने में लगभग 80-90 दिन का समय लगता है। वहीं शंकरपुर गांव के किसान 15 भिक्षु से अधिक में बैंगन की खेती करते हैं। वहीं प्रति नटराज फिल्म का निर्माण लगभग 100 – 120 औसत तक हुआ है। बैंगन मार्केट में 35 सौ प्रति डॉलर तक थोक रेट पर खरीदा जा रहा है।

बैंगन में लगे कीड़ा से मुक्ति का उपाय
किसान ने बताया कि बैगन की खेती में कीड़ा लगना, बैगन की समस्या होती है। बैंगन की फसल में लगभग 50 किलो पोटास की आवश्यकता होती है, वहीं इसके लिए साडी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट, नीम की खल्ली, फल की समस्या, बैंगन में तना एवं फल कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट या क्लोरोन्ट्रेनिलीप्रोल की समस्या प्रति एकड 200 लीटर पानी में नासाकर का छिड़काव करना चाहिए। बता दें कि शंकरपुर की सब्जी की सब्जी की क्रीड़ा स्थली, जिनमें पटना, रोहतास, जहानाबाद, गया, झारखंड के हरिहरगंज, डाल्टनगंज तक शामिल हैं।

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