AMU: खास है एमिरेट्स की पहली महिला चांसलर का ये बंगला, जानें इस हेरिटेज बिल्डिंग का इतिहास जहां आज छात्र करते हैं पढ़ाई
क्रेटर: उत्तर प्रदेश में क्रिएटर मुस्लिम यूनिवर्सिटी (ए ज़ाकिर) की स्थापना से लेकर आज तक के कई सफर मायनों में खास है। ए क्वेश्चन ने ऐसे-ऐसे शिक्षा साधक को जन्म दिया है,चाहा न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में ज्ञान का डंका है। यूनिवर्सिटी के इतिहास में कुछ ऐसे नाम जुड़े हुए हैं, जो समय के साथ अमर हो गए। इनमें से एक नाम बैतूल सुल्तान जहां का भी है, जो भोपाल की बैतूल मौलाना रही थी और दूसरा नाम सर सैयद अहमद खान से गिरा हुआ है।
ए बिश्नोई की पहली महिला चांसलर: बैटम सुल्तान जहां
1920 में क्रिस्टोफर मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद, बैतूल सुल्तान को विश्वविद्यालय की पहली महिला चांसलर बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उस समय, जब वायसैन ने अपनी कम्युनिस्ट पार्टी की थी, विश्वविद्यालय में न तो विश्वविद्यालय न्यायालय था और न ही एकलक्यूटिवा काउंसिल थी। वह किसी भारतीय विश्वविद्यालय की पहली महिला चांसलर थीं। उनका योगदान इतिहास और विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही गौरवपूर्ण रहा है।
हेरिटेज बिल्डिंग का मिलान शीर्षक
मातम सुल्तान जहां एक दूरदर्शी महिला के रूप में जानी जाती हैं, उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। वे ऑल इंडिया मुस्लिम एजुकेशन युवाओं के भवन का निर्माण कार्य, जो कि क्रिट्रेल के जामलपुर रोड शमशाद मार्केट के पास स्थित है। इस भवन का नाम ‘सुल्तान जहां मंजिल’ रखा गया था, जो पहले उनका निजी बंगला था। आज यह भवन एक प्रमुख स्टार्टअप संस्थान के रूप में कार्य करता है और क्रिएटिव हेरिटेज बिल्डिंग का शीर्षक भी प्राप्त कर चुका है।
बटमारे सुल्तान जहां का शिक्षा के प्रति समर्पण
क्रिस्टोफर मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एमके पुंडीर ने जानकारी दी कि भोपाल की रहने वाली महात्मा सुल्तान की शिक्षा कहाँ से हुई थी। उनके इसी उद्देश्य से उन्हें 1920 में अपने योगदान के कारण विश्वविद्यालय की स्थापना के समय चांसलर नियुक्त किया गया था। वह एक प्रमुख महिला चांसलर थीं।
एकेडमिक इंस्टीट्यूट के रूप में विला का प्रारूप
एमके पुंडीर ने बताया कि मति सुल्तान ने जहां अपने निजी आवास को एक स्टार्टअप संस्थान का रूप दिया था, जो आज भी क्रिएटिविटी मार्केट के पास स्थित है। यह शैक्षणिक संस्थान के रूप में कार्य कर रहा है और शिक्षा क्षेत्र में उनका योगदान आज भी जीवित है।
यह ऐतिहासिक इमारत की विशेषता
प्रोफेसर एमके पुंडीर ने कहा कि यह इमारत ब्रिटिश काल के प्रभाव से प्रभावित है, जिसे ‘हेरिटेज बिल्डिंग’ का दर्जा प्राप्त है। यह इमारत भारतीय, इस्लामिक और ब्रिटिश वास्तुकला कला का अद्भुत मिश्रण है। उनका मानना है कि इस ऐतिहासिक इमारत को आने वाली धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि लोग इसे जान-बूझकर इतिहास के बारे में जान सकें।
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पहले प्रकाशित : 13 नवंबर, 2024, 08:43 IST