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मैं भी क्रिकेट खेलना चाहता था..छलका यशस्वी जायसवाल के भाई का दर्द, 17 की उम्र में छोड़ना पड़ा था खेल

नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के युवा ओपनर यशस्वी जायसवाल ने अपनी प्रतिभा से हर किसी को प्रभावित किया है. जूनियर क्रिकेट से सीनियर टीम तक इस बल्लेबाज का सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा और उनको आगे बढ़ाने में बड़े भाई तेजस्वी जायसवाल की अहम भूमिका रही. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले यशस्वी जायसवाल को नया किंग करार दिया है. तेजस्वी ने बताया कि कैसे उन्होंने छोटे भाई के लिए अपने आप को क्रिकेट से दूर कर लिया था.

यशस्वी जायसवाल भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं. उन्होंने टीम इंडिया के लिए शानदार प्रदर्शन करके यह रुतबा हासिल किया है. सफलता आसानी से नहीं मिलती, लेकिन जायसवाल ने कड़ी मेहनत के लिए खुद को तैयार किया. उनकी क्षमता और प्रतिभा के साथ-साथ उनकी मेहनत ने उन्हें विश्व क्रिकेट का सुपरस्टार बना दिया. जायसवाल अपनी सफलता का पूरा श्रेय खुद को देते हैं, लेकिन हर सफल व्यक्ति के पीछे कोई न कोई सहायक भूमिका निभाता है. जायसवाल के लिए यह भूमिका उनके परिवार, विशेष रूप से उनके बड़े भाई तेजस्वी जायसवाल ने निभाई.

तेजस्वी ने दी छोटे भाई के लिए कुर्बानी
यशस्वी के बड़े भाई तेजस्वी तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने अपने पहले रणजी सीजन में त्रिपुरा के लिए खेलते हुए अर्धशतक बनाया. यह पारी खास थी क्योंकि उनकी पहली फर्स्टक्लास फिफ्टी है. इससे भी ज्यादा खास इसलिए था क्योंकि कुछ साल पहले उन्होंने इसके बारे में सोचा भी नहीं था.

तेजस्वी भी यशस्वी की तरह क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपने छोटे भाई के लिए अपने सपने को त्याग दिया. जायसवाल भाई मुंबई आए थे ताकि वे टीम इंडिया की जर्सी पहनने का सपना पूरा कर सकें लेकिन सपनों के इस शहर में जिंदा रहने की चुनौतियों का सामना करना उनके लिए कठिन था. उनमें से एक को परिवार की जिम्मेदारी उठानी थी और तेजस्वी ने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली. 17 साल की उम्र में तेजस्वी ने क्रिकेट छोड़ दिया और दिल्ली में एक सेल्समैन के रूप में काम करना शुरू कर दिया. वह यशस्वी को पॉकेट मनी भेजते थे और अपनी बहनों की शादी भी करवाई.

परिवार के लिए छोड़ा था क्रिकेट

तेजस्वी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “मैं भी क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. यशस्वी अच्छा कर रहे थे… इसलिए 2013 के अंत तक, मैंने मुंबई और क्रिकेट छोड़ दिया और दिल्ली चला गया, जहां एक रिश्तेदार की दुकान है,”

आर्थिक परेशानी के अलावा तेजस्वी पर उम्र धोखाधड़ी का आरोप भी लगा जिससे उनके क्रिकेट करियर की उम्मीदों को और धक्का लगा. तेजस्वी ने कहा, “मैंने हैरिस शील्ड में एक मैच खेला और सात विकेट लिए. फिर लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि मेरी उम्र सत्यापन में समस्या है. मुझे डेढ़ साल के लिए बेंच पर बैठा दिया गया. यशस्वी बहुत अच्छा कर रहे थे और मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से उनके अवसर प्रभावित हों. वैसे भी, मुंबई हम दोनों के लिए बहुत महंगा था. हमारे लिए दिन में दो बार खाना खाना भी मुश्किल हो रहा था. उस समय ज्वाला सर, यशस्वी के कोच से मुलाकात नहीं हुई थी,”

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