झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: महिला मतदाताओं को लुभाने की होड़ में खूब पैसा खर्च कर रहे हैं राजनीतिक दल – अमर उजाला हिंदी समाचार लाइव
सांकेतिक चित्र।
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चुनाव के लिए राजनीतिक सैद्धांतिक में महिला पुस्तकालय को रिझाने की होड सी लगी हुई है। मतदान को लेकर महिलाओं में भारी जागरुकता को देखते हुए उन्हें निशानेबाजी की कोशिश में वे जोरदार पैसा लूटा रही हैं। इसके लिए महिला सुपरमार्केट को कैश राशि भी दी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक निजी बैंक की ओर से रिसर्च डिपार्टमेंट की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। कई देशों की करीब 67 करोड़ महिलाओं में करीब हिस्सों को शामिल करने के लिए ऐसी फिल्में पेश की जा रही हैं। प्रचलित कहावतें हैं कि भारत में राजनीतिक योजना चुनाव के समय महिला झील को आकर्षित करने के लिए नकद लाभ देने की रणनीति अपना रही हैं। इसका उद्देश्य बेरोजगारी और बेरोजगारी की चिंता को कम करना है।
कुछ ही सप्ताह पहले झारखंड विधानसभा से झारखंड सरकार ने लगभग 50 लाख महिलाओं को मिलने वाले मासिक को एक हजार रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दिया था। ऐसा तब हुआ, जब बीजेपी ने अपने घोषित पत्र में महिलाओं को प्रति माह 2,100 रुपये देने का वादा किया। वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले दशक में भारत में महिलाओं के वोटों का प्रतिशत बढ़ा है। कई जगहों पर तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या इतनी अधिक है। इस वजह से राजनीतिक रूप से गैरकानूनी तरीके से महिलाओं को अपनी ओर खींचने की होड़ मची हुई है। विशेषौर से ऐसा तब है, जब किसान में 14 महीने के आरक्षण स्तर पर पहुंच गया और बेरोजगारी दर भी 8.9 प्रतिशत पर है।
लाभ योजना के लिए हर साल 2 लाख करोड़ का खर्च
एक्सिस का अनुमान है कि भारत के 36 में से एक एकल राज्य या संघीय क्षेत्र की महिलाओं के लिए लाभ अनुदान पर हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी डीपी) का 0.6 प्रतिशत है। पिछले एक साल में कई ऐसे लोगों ने राष्ट्रीय या स्थानीय चुनावों की घोषणा की है। महाराष्ट्र में अगले सप्ताह चुनाव है। बीजेपीनीतिक महायुति ने अगस्त से निम्न-आय वर्ग की महिलाओं को 15 सौ रुपये में नौकरी देना शुरू किया। अर्थशास्त्री ने इस राशि को दोगुना करने का वादा किया है।
आर्थिक मदद का असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में होने वाली वित्तीय संस्थाएं कुल मिलाकर राष्ट्रीय बजट पर असर डाल सकती हैं। हालाँकि, महिला वर्ग में अधिक कैश राशि का प्रवेश पारंपरिक पुरुष-प्रधान समाज में कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है।