
लहसुन की खेती की तकनीक, खेत को भूसे से ढककर की खेती, लागत होगी आधी, जोरदार कमाई के साथ पंपर उत्पादन
रोहतास. खेती में लागत कम करना और उपज हर किसान का सपना होता है। लेकिन, सही विशेषज्ञ और विशेषज्ञ की सलाह के बिना यह सपना अधूरा रह सकता है। विशेष रूप से लहसुन की खेती में, जहां मिट्टी की झीलें बनाई जाती हैं और पिपरमेंट से बचाव करना सबसे बड़ी चुनौती है। इस खबर के माध्यम से एक ऐसी तकनीक के बारे में जानेंगे, जो न केवल खेती का खर्च कम करती है, बल्कि लहसुन का निर्माण भी पहले से बेहतर है।
पुआल (मल्च) से खेत को उगाने की विधि लहसुन की खेती के लिए अत्यंत प्रारंभिक तकनीक है। यह के खेत में पोर्टफोलियो को नियंत्रित करने के साथ-साथ शेयरधारकों की वृद्धि को बढ़ावा देता है। साथ ही, बैंकों के सही और स्थिर उपयोग से उत्पादन बेहतर होता है।
लहसुन की खेती के लिए ऐसे तैयार करें खेत
कृषि विशेषज्ञ डाॅ. रमाकांत सिंह का मानना है कि खेती में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सही तकनीक को अपनाकर किसान ना केवल अपनी लागत कम कर सकते हैं, बल्कि अपने उत्पाद को भी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि लहसुन की बुआई करने से पहले खेत की 2 से 3 बार कल्टीवेस्टर से जूताई करनी चाहिए। इसके बाद, 1 से 2 बार पटाखा मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद प्रति हेक्टेयर 12 पुराने कंपोस्ट खाद को खेत में एक बार और जुताई कर लें। इसके बाद, सीधे कतारों में लहसुन की कटाई करने वाले किसानों को कर देना चाहिए।
ऐसे दूर करें चुनौती की समस्या
बटाई के तुरंत बाद पहली लैंडिंग करें। सींच के दो-तीन दिन बाद लहसुन का आँकड़ा शुरू होता है। लेकिन, इस बीच खेत में बांस की समस्या आनी शुरू हो गई है। इससे बचने के लिए किसान लहसुन की कटाई के तुरंत बाद खेत को पुआल या भूसी से इंच तक जोड़ दें। डॉ. सिंह बताते हैं कि इस विधि से ना सिर्फ बालों की समस्या दूर हो जाती है, बल्कि खेत में फसल के लिए उपयोगी बैक्टीरिया की सक्रियता भी बढ़ जाती है। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की स्वाभाविक आपूर्ति शुरू हो जाती है। इसके विपरीत, सेंचुरी और सीचैन की जरूरतें आधी हो जाती हैं, जिससे किसान कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं।
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पहले प्रकाशित : 26 नवंबर, 2024, 13:27 IST