मध्यप्रदेश

हर थाने में है नंबर… पुलिस इस आदमी की हालिया मौत है लावारिश! जानें यह कौन सा विशेषज्ञ है?

मुग़ल. धार्मिक नगरी संगम में कई ऐसी संस्थाएँ होती हैं जो समय-समय पर धार्मिक मस्जिदों में पेश की जाती हैं। प्रोटोकाल चर्चा दूर-दूर तक फोटो है। ऐसा ही एक नाम है अनिल डागर का। वैली के रिजेक्ट हुए बशहरा के लोगों की मौत के बाद अनिल ने उनके मोक्ष की राह आसान कर दी। यह एक ऐसा साख है जिस पर आयु के साथ संबंध कार्य की चर्चा प्रतिदिन जनसंख्या ही जा रही है। मुज़फ़्फ़रपुर शहर में भी कोई लावारिश मृत्यु नहीं होती है तो पुलिस अनिल को पुनः प्राप्त होता है। अनिल अपने धर्म के हिसाब से अपना अंतिम संस्कार अपने परिवार के सदस्यों से करवाते हैं।

जानिए कितने मृतकों का अंतिम संस्कार कब किया गया
अनिल डागर ने लोकल 18 बताया जाता है कि इस वर्ष 26 लावारिस के मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया था। इनमें ट्रेन से कटने, बीमारी से मौत, आत्महत्या करने, मृत्यु दर और उच्च रक्तचाप लाइन में झुलसने के मामले शामिल हैं। चिमनगंज मंडी क्षेत्र में 6 लावारिस मृत मिलेन, राजकुमार अभिलेख, बीमारी और पानी में डूबने से मौत हो गई। देवासगेट क्षेत्र में 14 लावारिस मृत मिले, जिनमें बीमारी और ठंड से मौत शामिल हैं। महाकाल थाना क्षेत्र में 14 लावारिस मृत मिले, जिनमें पानी में डूबना, दुर्घटना और आत्महत्या के मामले शामिल हैं। उनका यह कहना है कि उनके अंत समय में भी कोई नहीं है।

समाज और पुलिस के सहयोग से काम कर रहे हैं

अनिल डागर का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति का लावारिस शव है तो उस समाज और प्रशासन की मदद से अंतिम संस्कार किया जाता है। अनिल ने मज़हब जिले के हर पुलिस थाने में अपना नंबर रखा है। इसके अलावा मज़हबी जिलों में यदि कहीं भी लावारिस/अनाथ का शव है तो आप अनिल डागर से 098270-14298 पर संपर्क कर सकते हैं।

मानव की मिसाल है अनिल डागर
मानव सेवा को ही अपना धर्म मानकर, सभी धर्मों के लोगों का कोरोना महामारी में भी हजारों मृत लोगों का अंतिम संस्कार कर, देवदूत बने अनिल डागर ने मानवता की मिसाल पेश की थी। अभी भी निरंतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत 15 साल की उम्र से की थी। इसकी प्रेरणा उन्हें एक साधु महाराज से मिली थी। आज अनिल की उम्र 52 साल है.

रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाता है
अनिल डागर अब तक 22,000 लावारिस आतंकियों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। जिसमें 19,000 हिंदू और 3000 मुस्लिम समाज के लोगों का अंतिम संस्कार शामिल है। हिंदू समाज के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियां हरिद्वार ले जाकर गंगा नदी में प्रवाहित की जाती हैं। इस बार उन्होंने 114 लावारिश दिवंगतों का अंतिम संस्कार किया।

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